________________ पाठ-संपादन-ज़ी-३५ 147 1371. लोगाणुग्गहकारिसु, भूमीदेवेसु बहुफलं दाणं / अवि णाम बंभबंधुसु, किं पुण छक्कम्मणिरतेसु?' / / 1372. किमणा उ कुट्ठि-कर-पाद-अच्छिमादीसु जुंगिता जे तु। दट्टण तेसि देंतं, 'तस्स अणुकूलं'३ इमं भणति // 1373. "किमणेसु दुब्बलेसु" य, अबंधवा-ऽऽतंक-जुंगितंगेसु। पूयाहज्जे लोगे, दाणपडागं हरति देंतो' / 1374. ते च्चिय एत्थ वि दोसा, कोई पुण देति दाणमतिहीणं। तत्थ वि अणुप्पयं तू, दाणपतिस्सा इमं भणति॥ 1375. पाएण देति लोगो, उवगारी 'परिचिते व झुसिते” वा। जो पुण अद्धाखिण्णं, अतिहिं पूएति तं दाणं // 1376. कोइ पुण साणभत्तो, भत्तं साणादियाण दिज्जंतं। - तस्स य पियं ति भासति, तुममेगो जाणसी दाउं / / 1377. अवि णाम होज्ज सुलभो, गोणादीणं तणादिआहारो। छिच्छिक्कारहताणं, ण य सुलभो होति सुणगाणं / / 1378. केलासभवणा एते, आगता गुज्झगा महिं। ... चरंति० जक्खरूवेणं, पूयाऽपूय हिताऽहिता // 1379. पूयंति पूयणिज्जा, पूयाएँ हिताय आगता इहई। लोगस्स हिता एते, पूइय अहवाऽहिता होति / / 1380. अहवा वि पूयपूया, हिताहिता पूइता१२ हिता होति। अपूइता य अहिता२, तम्हा खलु पूणिज्जेते // 1381. एमादी अणुकूले, भणिते सव्वेसि माहणादीणं / ___दाता चिंतेति ततो, मज्झत्थो एस समणो त्ति / 1. पिनि 210/1, नि 4423 / 8. होति (नि 4426) / 2. दीसुं (पा, ला)। 9. साणाणं (पिनि 210/4) / 3. छंद की दष्टि से यहां तस्सऽणक्लं' पाठ होना चाहिए। 10. चरिति (ला)। 4. किवणेसु दुम्मणेसु (पिनि 210/2) / 11. पिनि 210/5, नि 4427 / 5. नि 4424 / 12. पूतिता (ता, पा)। 6. परिजितेव (पा, ला), "जितेसु (नि 4425) / 13. गाथा के तीसरे चरण में अनुष्टुप छंद है। 7. जुसिए (पिनि 210/3) /