________________ पाठ-संपादन-जी-३५ 143 1327. भिक्खादी वच्चंते, अप्पाहणि णेति खंतिगादीणं / सा ते अमुगं माता, सो व पिता पागडं' भणति // 1328. छण्णा पुणाइ दुविधा, दूती एत्थं तु होति णातव्वा। लोगुत्तर तत्थेगा, बितिया पुण उभयपक्खे वि॥ 1329. लोगुत्तर संघाडग, संकेतो सावछण्णवयणेहिं / कह पुण छण्णं? सेज्जातरीय अप्पाहिओ गंतु // 1330. संघाडपच्चयट्ठा, बेती दूति त्ति अम्ह ण वि कप्पे। अविकोविया सुता ते, जा बेति इमं भणसु खंती / / 1331. सा वि य भणती होतू, वारिज्जिहिती अयाणिया सा उ। * लोउत्तरछण्णेसा, उभयच्छण्णं अतो वोच्छं / 1332. जामाइतित्थजत्तागतस्स उवाइपोक्कडेण कतं। . सो आगतो त्ति धूता, उभयच्छण्णं इमं भणति // 1333. एव भणेज्जहि खंती, तं किर तह चेव चिंतितं जं तु। जह ण वि संघाडो से, अण्णा व वियाणती कोई // 1334. उभयच्छण्णा एसा, सग्गामे . अभिहिता भवे दूती। एमेव परग्गामे, दुह दूती कह पुण करेज्जा? // 1335. गामाण दोण्ह वेरं, सेज्जातरिधूय तत्थ परगामे / सामत्थं गामस्स य, जह एतं हणिमु परगाम / / 1336. खंतो तु तत्थ पच्छा, भिक्खायरियाएँ तो तु सेज्जतरी। ____ अप्पाहेती खंतं, मम धूय भणेज्जसू एवं // 1337. जह गामों पडिउकामो, सा उ भणेज्जासु मा कुण पमादं। तीय कहितं तु तस्सा, तेण वि गामस्स तं कहितं॥ 1. रो इमं (पिनि 201/1) / 2. नि 4399 / 3. गंतु (ला)। . 4. 'डगप (ब)। 5. कोति (ब)। . 6. खंतस्स (पिनि 202) / 7. कथा के विस्तार हेतु देखें परि. 2, कथा सं. 40 / 8. एयं (पा, ब, ला)।