________________ 142 जीतकल्प सभाष्य 1316. कणग-रययादियाणं, जहेट्ठधातुविहिता' तु अच्चित्ता।। मीसा उ सभंडाणं, 'दुपया तुप्पादणा दव्वे 2 // 1317. भावे पसत्थ इतरा, कोहादुप्पादणारे तु अपसत्था। कोधादिजुता धायादिणं च णाणादि 'तु पसत्था" // 1318. अपसत्थियभावुप्पादणाएँ एत्थं तु होति अहिगारो। सा सोलसहा तु इमा, धायादीया मुणेतव्वा॥ 1319. धाती दूती णिमित्ते, आजीव वणीमगे तिगिच्छा य। कोधे माणे माया, लोभे य हवंति दस एते' // . 1320. पुब्वि-पच्छासंथव, विज्जा मंते य चुण्ण-जोगे य। उप्पादणाएँ दोसा, सोलसमे मूलकम्मे य // 1321. धारयति धीयते वा, धयंति वा तमिति तेण धाती तु। जहविभवं आसि पुरा, खीरादी पंच धातीओ // 1322. खीरे य मज्जणे मंडणे य कीलावणंकधाती य। धाइत्तं कुणमाणो, एगतरं धातिपिंडो तु॥ 1323. तं दुविधं धातित्तं, करणे कारावणे य बोद्धव्वं / तं पुण दारगमादी, पडुच्च धाति व्व कुज्जाहि // 1324. पंचविध धातिपिंडे, आवत्ती चउलहू मुणेतव्वा / दाणं आयामं तू, दूतीपिंडं अतो वोच्छं / 1325. सग्गामर परग्गामे, दुविधा दूती तु होति णातव्वा। एक्केक्का वि य दुविहा, पागड छण्णा य णातव्वा // 1326. पागड णिस्संको च्चिय, अप्पाहेंतो व भणति इतरो वा। सेज्जातरखंतिया तु, धूया वा अण्णगामम्मि // 1. 'तुभिहि (ता, पा, ब, ला), यहां हमने पिण्डनियुक्ति 7. व (ला)। का पाठ स्वीकृत किया है। 8. धाई यु (ब), नि 4376, पिनि 198 / 2. “यादि कया उ उप्पत्ती (पिनि 194/2) / 9. पिनि (197) में इसका उत्तरार्ध इस प्रकार है३. "प्पायणे (ब)। एक्केक्का वि य दुविधा, करणे कारावणे चेव। 4. सप (पा, ला), पिनि 194/3 / 10. 'ज्जाहिं (ब)। 5. पिनि 195, पंव 754, प्रसा 567, पंचा 13/18 / 11. “गामे (ला)। 6. पिनि 196, पंव 755, प्रसा 568, पंचा 13/19 /