________________ 132 जीतकल्प सभाष्य 1206. एवं मासलहुं तू, आवत्ती दाण होति पुरिमटुं। डाए लोणे हिंगू, संकामण भत्तपूतीयं // 1207. एत्थं मासगुरुं तू, आवत्ती दाणमेगभत्तं तु / उवगरण भत्तपाणे, पूतिस्स तु लक्खणं वोच्छं / 1208. सिझंतस्सुवगारं, 'सिद्धस्स करेति वावि जं दव्वं / तं उवगरणं 'भण्णति, चुल्लुक्खलि-दव्वि-डोयादी" || 1209. संघट्टकता चुल्ली, उक्खलि डोए तहेव दव्वी य। ' सो होति आहकम्मी, पूतीकम्म इमं होति // 1210. संघियचिक्खल्लेणं, सयचुल्लीखंडियाइ संठवणं / एमेव उक्खलीय वि, फड्डुगमादी तु जं लाए / 1211. एवं सयडोयीए', दव्वीए वावि संघदारूणं। अग्गिलियं . जदि लाए, गंडफलं वावि एगतरं // 1212. उवगरणपूति भणित, एत्तो वोच्छामि भत्तपूतिं तु। डाए लोणे हिंगू, संकामण 'फोड संधूमे // 1213. अत्तट्ठिय आदाणे, डागं लोणं व कम्म हिंगू वा। तं भत्तपाणपूर्ति, फोडणमण्णं व जं छुभति // 1214. संकामेउं कम्म, तेणेव य भायणेण संकामे। जं सुद्धं तं पूर्ति, अहवा रद्धं तहिं होज्जा // 1215. अंगारभूइ थाली, वेसण हेट्ठामुहीएँ जं धूमे। संघट्टकडे तम्मि उ, अत्तट्ठ करेंत पूतीयं // 1216. मीसज्जातं तिविधं, जावंतिगमीस बितिय पासंडे। साहूमीसं ततियं, पच्छित्तं तेसि वोच्छामि // 1. एव (ला)। 2. दिज्जंतस्स व करेति (पिनि 113) / 3. चुल्ली उक्खा दव्वी य डोयादी (पिनि)। 4. लोए (ब)। 5. सतडोतीए (ता, पा, ब)। 6. एयं (ता, ब)। 7. फोडणं धूमे (मु)। 8. च (पा, ला, पिनि)। 9. हिंगुं (पा, ब, ला, मु)। 10. “पूती (पिनि 113/4) / 11. इस गाथा के बाद हस्तप्रतियों में 'पति त्ति गर्य' का उल्लेख है।