________________ पाठ-संपादन-जी-३५ 131 1195. आहाकम्मे चतुगुरु, आवत्ती दाण होतऽभत्तटुं। उद्देसियं पि दुविधं, ओहे य विभागतो चेव // 1196. ओहे मासलहुं तू, आवत्ती दाण होति पुरिमहूं। होंति विभागुद्देसे, मूलव्वत्थू इमेरे तिण्णि // 1197. उद्देसकडे कम्मे, एक्केक्क चउव्विहो भवे भेदो। कह होति चउब्भेदो?, इमाहि गाहाहि वोच्छामि // 1198. उद्देसियं समुद्देसियं च आदेसियं समादेसं। एमेव कडे चउरो, कम्मम्मि वि होंति चत्तारि // . 1199. जावंतिगमुद्देसो, पासंडीणं भवे समुद्देसो। समणाणं आदेसो, णिग्गंथाणं समादेसो' / 1200. उद्देसिगम्मि लहुगो, 'पत्तेयं होति चतुसु ठाणेसु / एमेव कडे गुरुगो, कम्मादिम लहुग तिसु गुरुगा॥ 1201. थी लहुमासा गुरुगा', चउगुरुगा तिण्णि तू मुणेतव्वा। तवकालेहि विसिट्ठा, दाणं तु अतो पवक्खामि॥ 1202. लहुमासे पुरिम९, गुरुमासे होति एगभत्तं तु। ___चउलहुगे आयाम, चउगुरुगे होतऽभत्तटुं // 1203. पूतीकम्मं दुविधं, दव्वे भावे य होति णातव्वं। दव्वम्मि छगणधम्मी', 'भावे दुविधं इमं होति // 1204. सुहुमं व बादरं वा, दुविधेयं होति हू मुणेतव्वं / बादर पुणरवि दुविधं, उवगरणे भत्त-पाणे य॥ 1205. इंधण गंधे धूमे, सुहुमेतं एत्थ णत्थि पूइत्तं / चुल्लुक्खलियादीणं, उवगरणे पूतियं होति // 1. मूलव' (ला, मु)। 2. इमि (पा, ला)। 3. तु. नि 2019, पिनि (97) में इस गाथा का उत्तरार्ध इस प्रकार है एवं कडे य कम्मे, एक्केक्क चउव्विहो भेदो। 4. पासंडाणं (ता, पा, ब)। 5. पिनि 98, नि 2020 / 6. चउसु वि ठाणेसु होइ उ विसिट्ठो (नि 2022) / 7. गुरुमासा (ता, ब)। 8. हस्तप्रतियों में गा. 1202 के बाद 'उद्देसिए त्ति गयं' का उल्लेख है। 9. धम्मिय (पिनि 107, नि 804), कथा के विस्तार हेतु देखें परि. 2, कथा सं. 38 / 10. भावम्मि य बादरं सुहुमं (पिनि, नि)। 11. पच्छित्तं (ता, ब, ला)।