________________ जीतकल्प सभाष्य 661. एतेसु धीरपुरिसा, पुरिसज्जातेसु किंचि खलितेसु / रहिते विहारइत्ता, जहारिहं देति पच्छित्तं // 662. रहिते नाम असंते, आदिल्लम्मि ववहारतियगम्मि। ताहे विहारइत्ता, वीमसेऊण जं भणितं // 663. पुरिसस्स उ अवराह, विधारइत्ताण जस्स जं भणितं / तं देंती पच्छित्तं, केणं देंती उ? तं सुणसु॥ 664. जो धारितो सुतत्थो, अणुओगविधीय धीरपुरिसेहिं / अल्लीणपलीणेहिं', जतणाजुत्तेहिँ दंतेहिं // 665. अल्लीणा णाणादिसु, पइ पइ लीणा" उ होति पल्लीणा। कोधादी वा पलयं, जेसि गता ते पलीणा तु॥ जतणाजुतो पयत्तव, दंतो जो उवरतो तु पावेहिं / अहवा दंतो इंदियदमेण नोइंदिएणं च // 667. एरिसगा जे पुरिसा, अत्थधरा ते भवंति जोग्गा उ। धारणववहारण्णू', ववहरिउं धारणाकुसला। 668. अहवा 'जेणऽण्णइया'९० दिवा, सोधी परस्स कीरंती। तारिसगं चेव पुणो, उप्पण्णं कारणं तस्स" // 669. सो तम्मि चेव दव्वे, खेत्ते काले य कारणे पुरिसे। तारिसगं अकरेंतो, न हु सो आराहगो होति // 670. सो तम्मि चेव दव्वे, खेत्ते काले य कारणे पुरिसे। तारिसगं चिय भूतो, 'कुव्वंतो राहओ'१३ होति // 671. अहवा वि इमे अण्णे, धारणववहारजोग्गयमुर्वेति / धारणववहारेणं, जे ववहारं ववहरंति // १.अइयारं (व्य 4511) / 2. अरिहं (व्य)। 3. सुणह (व्य, पा)। 4. आलीण' (व्य 4512) / 5. ल्लीणा (पा)। 6. तु पलीणा (मु, ब)। ७.व्य 4513 / ८.व्य 4514 / 9. हारं तू (पा, ला)। 10. जेणं ईया (मु), जेणं इया (ला)। ११.व्य 4515 / 12. व्य 4516 / 13. कुव्वं आराहगो (व्य 4517) / 14. x (ला)।