________________ जीतकल्प सभाष्य 640. पढमस्स य कज्जस्सा, दसविधमालोयणं णिसामेत्ता। __णक्खत्ते पीला भे, सुक्के दसमं तवं कुणह॥ 641. पढमस्स य कज्जस्सा, दसविधमालोयणं णिसामेत्ता। णक्खत्ते पीला भे, सुक्के पक्खं तवं कुणह / / पढमस्स य कज्जस्सा, दसविधमालोयणं णिसामेत्ता। णक्खत्ते पीला भे, सुक्के वीसं तवं कुणह / / 643. पढमस्स य कज्जस्सा, दसविधमालोयणं णिसामेत्ता। णक्खत्ते पीला भे, पणुवीसतवं कुणह सुक्के / एवं ता उग्घाते, अणुघाते 'एत चेव गाहाओ"। ‘णवरं तू अभिलावो, किण्हे पणगादि वत्तव्वो" // 645. पढमस्स य कज्जस्सा, दसविधमालोयणं णिसामेत्ता। णक्खत्ते / पीला भे, चउमासतवं कुणह' सुक्के / 646. पढमस्स य कज्जस्सा, दसविधमालोयणं णिसामेत्ता / णक्खत्ते पीला भे, चउमासतवं कुणह किण्हे // __ पढमस्स य कज्जस्सा, दसविधमालोयणं णिसामेत्ता। णक्खत्ते पीला भे, छम्मासतवं कुणह सुक्के / 648. पढमस्स य कज्जस्सा, दसविधमालोयणं णिसामेत्ता। णक्खत्ते पीला भे, छम्मासतवं कुणह किण्हे // 649. छिंदंतु व तं भाणं, गच्छंतु 'व तस्स'६ साहुणो मूलं / अव्वावारा' गच्छे", अब्बितिया वा पविहरंतु // 650. पणगादिभाणछेदं, साहू मूलं. भवे पुणक्करणं। पुव्वमवहाय सव्वं, पंचाऽऽभवणाउ उवरिं तु॥ 1. पण (ब)। 2. उवग्घाए (पा)। 3. ताणि चेव किण्हम्मि (व्य)। 4. मासे चउमास-छमासियाणि छेदं अतो वुच्छं (व्य 4493) / 5. कुणसु (व्य) सर्वत्र। 6. तवस्स (मु, पा), य तस्स (व्य 4497) / ७.अव्वावडा व (व्य)। 8. गच्छो (पा)। 9. परिह' (ब)। 10. मूले (ब)।