________________ पाठ-संपादन-जी-१ 493. ण पगासेज्ज लहुत्तं, परीसहुदएण' होज्ज वाघातो। उप्पण्णे वाघाते, जो गीतत्थाण तु उवाओ // 494. को गीताण उवाओ?, संलेहगतो ठविज्जते अण्णो। उच्छहते जो वऽण्णो, इतरे उ गिलाणपरिकम्मं // 495. वसभो वा ठाविज्जति, अण्णस्सऽसतीय तम्मि संथारे। कालगतो त्ति य काउं, संझाकालम्मि णीणेति / / 496. एवं तू णातम्मी, डंडिगमादीहि' होति जतणेसा / सयगमण पेसणं वा, खिंसण चउरो अणुग्घाता / / 497. सपरक्कमे य भणितं, णिव्वाघाइं तहेव वाघातं / णिव्वाघातिम इतरं, एत्तो अपरक्कम वोच्छं // अपरक्कमो बलहीणो, अण्णगण ण जाति कुणति गच्छम्मि। सपरक्कमो व्व सेसं, णिव्वाघाती गतो एसो॥ 499. वाघातिर आणुपुव्वी, रोगाऽऽतंकेहि नवरि अभिभूतो। बालमरणं पि 'य सिया'५३, मरेज्ज उ इमेहि हेऊहिं // 500. वाल-ऽच्छभल्ल-'विसगत-विसूयिगाऽऽतंक'४ सण्णिकोसलगे। ऊसास गद्ध रज्जू, ओमऽसिव-ऽहिघात-संबद्धे // 501. वालेण गोणसाइण५, खइओ होज्जाहि'६ सडिउमारद्धो। कण्णो?-णासिगादी, विभंगिता अच्छभल्लेणं॥ 498. 1. परिसहउदतेण (नि 3934) / २.व्य 4376 / 3. पडिक' (व्य 4377), गा. 494 से 496 -इन तीन गाथाओं के स्थान पर (नि 3935) में एक ही गाथा मिलती है। 4. 4 (पा, ब, ला)। ५.णीणम्मि (ब), व्य 4378 / 6. एव (पा, ला)। 7. दंडिग (ब, व्य 4379) / 8. जयमेसा (ला), जयणा उ (व्य)। 9.x (ब)। 10. जाती (ला)। 11. गा. 497 और 498 के स्थान पर (व्य 4380) में निम्न गाथा हैसपरक्कमें जो उ गमो, नियमा अपरक्कमम्मि सो चेव। नवरं पुण नाणत्तं, खीणे जंघाबले गच्छे / 12. एमेव (व्य 4381) / 13. सिया हु (व्य)। 14. विस विसूइकएँ आयंक (व्य 4382) / 15. सादी (व्य 4383) / १६.जोज्जाहि (पा, ला)।