________________ पाठ-संपादन-जी-१ 37 248. चारित्त कप्प णियमा, निरतियारित्त विगडिते सो य। दीवित पभासिउ ति य, पगासितो चेव एगट्ठा // 249. अतियारपंकपंकंकितो य आया विसोहिओ होति। आलोइए य आया, उजुभावे ठावितो होति॥ 250. अज्जवभावे अज्जव, सयं' चियाऽऽलोइए कतो होति। मद्दवभावेणं पुण, अमाणि होऊण आलोए॥ 251. अतियारगुरुभरेणं', अक्कंतालोइए लहू होति। सुद्धो हं. ति य तुट्ठी, अतियारुण्हो य पल्हाणो॥ 252. आलोयणागुणेसू, जे ऊ एवं हवंतऽपारोक्खा। छट्ठाणयपडितेहिं, छहिँ चेव य जे अपारोक्खा // 253. संखाईया ठाणा', छहिँ ठाणेहिँ पडिताण ठाणाणं। .. जे संजया सरागा, 'एगे ठाणे विगतरागा" // 254. एताऽऽगमववहारी, पण्णत्ता राग-दोसणीहूया। __ आणाएँ जिणिंदाणं", जे ववहारं ववहरंति // 255. 'इय भणिते चोदेती", ते वोच्छिण्णा हु संपदं इहई। तेसु य वोच्छिण्णेसू, नत्थि विसुद्धी चरित्तस्स // .. 256. चोद्दसपुष्वधराणं, वोच्छेदो केवलीण वोच्छेदे। 'केसिंचि य" आदेसो, पायच्छित्तं पि० वोच्छिण्णं // 257. जं जत्तिएण सुज्झति, पावं तस्स तह देंति पच्छित्तं / जिण-चोद्दसपुव्वधरा, तविवरीता जहिच्छाए॥ 258. पारगमपारगं वा, जाणंते जस्सर जं च करणिज्ज। देति तहा पच्चक्खी, घुणक्खरसमो तु पारोक्खी" // १.सेयं (पा, ब)। 2. भएणं (मु, ला)। 3. टाणा (पा, ब, ला), सर्वत्र। 4.4 (ला), सेसा एक्कम्मि ठाणम्मि (व्य 4161) / ५.जिणंदाणं (ब)। 6. व्य 4162 / ७.एवं भणिते भणती (व्य 4163) / 8. इहयं (ब)। 9. केसिंची (व्य 4165) / 10.4 (ला)। ११.व्य 4166 / 12 कप्पं (पा, ब, ला)। १३.देंति (ब)। 14. व्य 4167 /