________________ 36 जीतकल्प सभाष्य 239. चरगादिमादिगेसू', अहिंसमक्खो व्व अत्थि जा कंखा। तं हेतु-कारणेहिं, विणयउ जह होति णिक्कंखो॥ 240. जो एतेसु ण वट्टति, कोधे दोसे तहेव कंखाए। सो होति सुप्पणिहितो, सोभणपरिणामजुत्तो वा॥ 241. छत्तीसेताणि ठाणाणि, भणिताणऽणुपुव्वसो"। जो कुसलो य एतेहिं, सो ववहारी समक्खातो' / 242. अट्ठहि अट्ठारसहि य, 'दसहि य" ठाणेहिं जे अपारोक्खा। आलोयणदोसेहिं, छहि अपारोक्ख विण्णेया // 243. आलोयणागुणेहिं, छहिं य ठाणेहिं जे अपारोक्खा। पंचहि य नियंठेहिं, पंचहि य चरित्तमंतेहिं 2 // 244. अट्ठायारवमादी, वयछक्कादी हवंति३ यऽगुरसा"। दसविहपायच्छित्ते, 'आलोयणमादिए चेव // 245. आलोयणदोसेहिं, आकंपणमादिएहिँ दसहिं तु। छहि काएहिँ वतेहि व, दसहिं चाऽऽलोयणगुणेहिं // 246. आयार "विणयगुण कप्पदीवणा'२७ अत्तसोहि उजुभावो। अज्जव-मद्दव-लाघव, तुट्ठी पल्हायकरणं८ च॥ 247. मिच्छत्ततवाऽऽयारे, पढमं आलोयणा तहिं पढमं / विणयो विणासणं ति य, मायाए विणयणगुणेसो॥ 1. एसु तु (मु), गाइएसुं (ला)। 2. गाथाओं के क्रम में व्य में यह गाथा अप्राप्त है। 3. पणिधाणजु (व्य 4155) / 4. भणिता अणु' (ला), ताणि अणु (ब)। 5. x (ब, मु)। 6. व्य 4156, गाथा के प्रथम तीन चरणों में अनुष्टुप तथा अंतिम चरण में आर्या छंद का प्रयोग हुआ है। 7. x (पा, ला)। 8. छहि य (ब,मु)। 9. विण्णाणा (व्य 4157) / 10. ट्ठाणेहिं (पा, ब, ला)। 11. अपरो" (पा)। १२.व्य 4158 / 13. हवति (पा)। 14. रसं (पा)। 15. “यण दोस दसहिं वा (व्य 4159) / 16. इस गाथा के स्थान पर व्य (4160) में निम्न गाथा मिलती हैछहि काएहि वतेहि व, गुणेहि आलोयणाय दसहिं च। छट्ठाणावडितेहिं छहि चेव तु जे अपारोक्खा / / 17. य कप्प गुणदी' (पंक१३१०), कप्पमादी (नि 3865), जीदकप्प गुणदी' (मूला 387, भआ 411) / 18. “यजणणं (व्य 4301, जीभा 413) /