________________ पाठ-संपादन-जी-१ 152. अट्ठारसेहिं ठाणेहिं, जो होती' अपतिट्ठितो / नलमत्थो तारिसो होति, ववहारं ववहरित्तए / 153. 'अट्ठारसेहिं ठाणेहिं", जो होति. सुपतिद्वितो / अलमत्थो तारिसो होति, ववहारं ववहरित्तए / 154. वयछक्ककायछक्कं, अकप्प गिहिभायणं च पलियंको / गोयर-णिसेज्ज-हाणे, भूसा अट्ठारठाणेते // 155. परिणिद्वित परिणात°, पतिट्ठितो जो ठितो उ तेसु भवे। 'अविदू सोहि 12 ण जाणति, अठितो पुण अण्णहा कुज्जा॥ 156. बत्तीसाए 'तु ठाणेहिं '13, जो होतऽपरिणिद्वितो। नलमत्थो तारिसो होति, ववहारं ववहरित्तए / 157. बत्तीसाए तु ठाणेहिं, जो होति परिणिद्वितो। अलमत्थो तारिसो होति, ववहारं ववहरित्तए / 158. बत्तीसाए तु ठाणेहिं, जो होती अपतिट्ठितो। णलमत्थो तारिसो होति, ववहारं ववहरित्तए५ // 159. बत्तीसाए 'तु ठाणेहिं '16, जो होति सुपतिट्ठितो। अलमत्थो तारिसो होति, ववहारं ववहरित्तए / 160. अट्ठविधा गणिसंपद, एक्के क्का" चउविहा उ बोद्धव्वा। एसा खलु बत्तीसा, ते खलु ठाणा इमे होंति // 161. आयार-सुत-सरीरे, वयणे वायण मती पओगमती। एतेसु संपदा खलु, अट्ठमिगा संगहपरिण्णा // 1. होति (मु)। 2. अपडिट्ठितो (ला)। 3. व्य 4072 / 4. “रसहि ट्ठाणेहिं (ब)। 5. होती (पा, ब, ला)। 6. सुपरिट्ठितो (पा)। 7. व्य 4073 / 8. “यणे (व्य)। 9. रसट्ठाणे (व्य 4074) / 10. णाता (पा, मु)। 11. द्वितो (ब, ला)। 12. अविदु सोहिं (व्य 4075) / 13. ठाणेसु (व्य 4076), सर्वत्र / 14. व्य 4077 / 15. व्य 4078 / 16. ठाणेसु (व्य 4079) / 17. पा प्रति में इस गाथा का संकेत मात्र है। 18. एक्केक्क (ला)। 19. पुण (व्य 4080) / 20. ट्ठाणा (पा, ब, ला)। 21. व्य 4081, प्रसा 542 /