________________ जीतकल्प सभाष्य 142. सुत्तं अत्थे उभयं, आलोयण आगमो ‘व इति" उभयं / जं तदुभयं ति वुत्तं, तत्थेसा' होति परिभासा॥ 143. पडिसेवणातियारे, जदि नाऽऽउद्दति जहक्कम सव्वे / ण हु देंती' पच्छित्तं, आगमववहारिणो तस्स // 144. पडिसेवणातियारे, जदि आउदृति जहक्कमं सव्वे। देंति- तओ पच्छित्तं, आगमववहारिणो तस्स // 145. कहेहि सव्वं जो वुत्तो, जाणमाणो वि गृहति। ण तस्स देंति पच्छित्तं, बेंति अण्णत्थ सोहय // .. 146. ण संभरति जो दोसे, सब्भावा ण य मायया।.. पच्चक्खी साहते ते उ, माइणो उ ण साहती // 147. जइ आगमो य आलोयणा य दोण्णि वि समं ण णिवइयाइं / ण हु ‘देंति उ'१२ पच्छित्तं, आगमववहारिणो तस्स॥ 148. जइ आगमो य आलोयणा य दोण्णि३ वि समं णिवइयाइं / देंति ततो पच्छित्तं, आगमववहारिणो तस्स // 149. को पुण पायच्छित्ते, दातव्वे अणरिहो ‘व अरिहो वा?। भण्णति इणमो सुणसू, अरिहो जो वा अणरिहो उ'१५ // 150. अट्ठारसेहिं१६ ठाणेहिं, जो होति ऽपरिणिद्वितो। नलमत्थो तारिसो होति, ववहारं ववहरित्तए / 151. अट्ठारसेहिं ठाणेहिं, जो होती८ सुपरिद्वितो१९ / अलमत्थो तारिसो होति, ववहारं ववहरित्तए / 1. इती (ब, पा, मु)। 2. तत्थ इमा (व्य 4064) / 3. देती (ला)। ४.व्य 4065 / 5. देती (पा, ला)। ६.व्य 4065/1 / 7. बेति (ला)। 8. व्य 4066, 145 और 146 गाथा में अनुष्टुप् छंद का प्रयोग है। 9. साधए (व्य 4067) / 10. दोण्हि (पा, ब, ला)। ११.निवडियाइं (व्य)। 12. देंती (व्य 4068) / 13. दोण्हि (पा, ब, ला)। 14. निवडियाई (व्य 4069) / 15.4 (पा)। 16. रसहि (ब) सर्वत्र। 17. अप (व्य 4070) / 18. होति (पा, मु)। 19. परिणिट्ठितो (व्य 4071) /