________________ पाठ-संपादन-जी-१ 19 65. से किं अप्पडिवातिं, ओहिण्णाणं तु? जो अलोगस्स। आगासपदेसं तू, एगमवी पासती जाव // __ असंखेज्जाइँ अलोगे, पमाणमेत्ताइँ लोगखंडाई। जाणति पासति य तहा, खेत्तोही एसमक्खातो' / 67. एसो अप्पडिवाई', ओही तु समासतो समक्खातो। सव्वं पेतं चउहा, दव्वादि समासतो वोच्छं / 68. रूवीदव्वे विसओ, दव्वोही खेत्ततो इमाऽऽहंसु। अंगुलअसंखभाग, उक्कोसेणं इमं वोच्छं / ___ असंखेज्जाइँ अलोगे, पमाणमेत्ताइँ लोगखंडाइं। . जाणति पासति य तहा, खेत्तोही एसमक्खातो॥ 70. कालतों ओहिण्णाणी, असंखभागं तु आवलीए उ। सव्वजहण्णं जाणति, पासति या सो उ नियमेणं // 71. उस्सप्पिणि-ओसप्पिणिकालमतीतं अणागतं चेव। उक्कोसेण वि जाणति, पासति या एस कालोही॥ भावतो ओहिण्णाणी, अणंतभावे अणंतभागं च। जाणति पासति य तहा, भावोही एसमक्खातो॥ 73. ओही भवपच्चइओ, खओवसमिओ य वण्णितो दुविधो। तस्स उ बहू विगप्पा, दव्वे खेत्ते य कालादी // ... 74. तं मणपज्जवणाणं, दुविधं तु समासतो समक्खातं / उज्जुमती विमलमती, दव्वादि चउव्विहेक्केक्कं // दव्वओं उज्जुमती तू, अणंतपदेसे अणंतखंधा ऊ। जाणति पासति ते च्चिय, वितिमिरसुद्धे तु विउलमती / / 1. यह गाथा सभी हस्तप्रतियों में इसी क्रम में मिलती है।६६ अवधि का क्षेत्र की दृष्टि से वर्णन किया है तथा 69 वीं .वी गाथा 69 वीं गाथा की संवादी है अतः इस क्रम में यह गाथा में सामान्य अवधिज्ञान का क्षेत्रतः उत्कृष्ट अवधि गाथा नहीं होनी चाहिए। विषय की दृष्टि से भी 65 का वर्णन है अतः इसे भाष्यगाथा के क्रम में रखा है। वों गाथा 67 वी गाथा से सम्बद्ध है / ग्रंथकार ने 67 वी 2. वादी (पा, ब, ला)। गाथा में द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव अवधि का संकेत 3. भागे (पा, ब)। दिया है। 69 वी गाथा में क्षेत्र अवधि का वर्णन है अतः 4. नंदी 22/1 / यह गाथा पुनरुक्त सी प्रतीत होती है लेकिन यहां संभावना ५.नंदी 23 / * यह की जा सकती है कि 66 वीं गाथा में अप्रतिपाती