________________ जीतकल्प सभाष्य 54. अंगुलमावलियाणं, भागमसंखेज्ज दोसु संखेज्जा। ... अंगुलमावलियंतो', आवलिया अंगुलपुहत्तं // 55. हत्थम्मि मुहुत्तंतो, दिवसंतो गाउयम्मि बोद्धव्वो। जोयण दिवसपुहत्तं, पक्खंतो पण्णवीसाए / 56. भरहम्मि अद्धमासो, 'जंबुद्दीवे य" साधिगो मासो। वासं तु मणुयलोगे, वासपुहत्तं च रुयगम्मि॥ संखेज्जम्मि तु काले, दीव-समुद्दा उ होंति संखेज्जा। कालम्मि असंखेज्जे, दीव-समुद्दा वि भइयव्वा / / 58. काले चतुण्ह वुड्डी', कालो भइयव्वु खेत्तवुड्डीए। वुड्डीय' दव्व-पज्जव, भइतव्वा खेत्त-काला उ॥ ___ सुहुमो य होति कालो, तत्तो सुहुमतरगं हवति खेत्तं / अंगुलसेढीमेत्ते, ओसप्पिणीओ असंखेज्जा // 60. तिसमयऽऽहारादीणं, गाहाणऽ?ण्ह वी सरूवं तु। वित्थरतो वण्णेज्जा, जहर हेट्ठाऽऽवस्सगे भणितं // 61. एवं तु वड्डमाणो, ओही उ समासतो समक्खातो। एत्तो परिहायंतं, ओहीणाणं इमं होति॥ 62. अज्झवसाठाणेहिं, अपसत्थेहि२ वट्टमाणचारित्ते। संकिस्समाणचित्ते, समंततो हायते ओही // पडिवयमाणो ओही, अंगुलभागं तु संखऽसंखं वा। अंगुलमेव पुहत्तं, हत्थ धणू जोयणे तह य॥ जोयणसयं सहस्सं, संखमसंखा व जाव लोगं तु / पासित्ताण पडेज्जा, ओहीणाणेद पडिवाती५॥ 1. अंगुलि (ब)। 8. आवनि 34, नंदी 18/7, विभा 617 / 2. आवनि 30, नंदी 18/3, विभा 608 / 9. x (पा)। 3. पण्णु' (ला, ब), आवनि 31, नंदी 184, विभा 609 / 10. नंदी 1848, आवनि 35, विभा 621 / 4. दीवम्मि (आवनि 32, विभा 610, नंदी 18/5), 11. जहा (पा)। ___ जंबूदी (पा)। 12. अप्प (ब)। ५.वि (पा, ब, नंदी 18/6, आवनि 33, विभा 615) / 13. तु. नंदी 19 / 6. वड्डी (ला)। 14. x (पा, ला)। 15. परिवा' (पा, ब, ला), तु. नंदी 20 /