________________ जीतकल्प सभाष्य 33. उप्पज्जमाणओ खलु, भवपच्चइओ हि जत्तिओ विसओ। सव्वं तं ओभासति, ण उ वुड्डी' णेव हाणी उ॥ 34. गुणपच्चइओ ओधी, गब्भजमणु-तिरिय-संखमाऊणं / कम्माण खयोवसमे, तयवरणिज्जाण उप्पज्जे // अवधी मज्जायत्थो, परिमितदव्वं तु जाणते तेणं / मुत्तिमदव्वे विसयो, ण खलु अरूवीसु दव्वेसु॥ अच्चंतमणुवलद्धा, 'वि ओहिणाणस्स' होति पच्चक्खा। ओहीणाणपरिणता, दव्वा असमत्तपज्जाया॥ तं. पुण ओहीणाणं, समासतो छव्विधं इमं होति। अणुगामि अणणुगामी, वडंत य हायमाणं च॥ पडिवाति अपडिवाती, छव्विधमेवं तु होति विण्णेयं / अणुगामिओ. उ दुविधो, अंतगतो चेव मज्झगतो // अंतगतो वि य तिविधो, पुरतो तह मग्गतो य पासगतो। पुरतो पुण अंतगतं, इमं तु वोच्छं समासेणं // 40. जह कोई तु मणुस्सोर, उक्कंचुडुलिं व दीव मणिमादी / काउं पुरतो गच्छति, पणुल्लयंतो व्व जह पुरिसो५ // मग्गतों अंतगतो ऊ, तह चेव य नवरि मग्गतो काउं / अणुकड्डमाणु गच्छति, अंतगतो मग्गतो एस१६ // पासगतंऽतगतो ऊ, चुडुलादि तहेव जाव तु मणिं तु। परिकड्डमाणु गच्छति, अंतगतं एत तिह भणितं७ // 43. से किं मज्झगतो? तं, जह पुरिसो कोइ चुडुलिमादीणि। काउं सिरम्मि गच्छति, मज्झगतो एस ओही तु॥ . 1. वड्डी (पा, ला)। 10. तु. नंदी 11 / 2. जेणं (ला, मु)। 11. मणूसो (ला)। 3. ओही (ला, मु)। 12. चडुलिं (ब)। 4. ओहिण्णाणपरिगया (बृ३३)। 13. च (पा), व्व (ब)। 5.4 (ला)। 14. मणिवादी (पा, ला)। 6. हीण्णाणं (ला)। 15. तु. नंदी 12 / 7. च्छव्विहं (पा, ब, ला)। 16. तु. नंदी 13 / 8. वाती (ला, ब)। 17. तु. नंदी 14 / 9. तु. नंदी 10 / १८.तु. नंदी 15 /