________________ 14 जीतकल्प सभाष्य 10. पच्चक्खो वि य दुविधो, इंदियजो चेव नोयइंदियजो। इंदियपच्चक्खो ‘वि य, पंचसु" विसएसु णातव्वो' / जीवो अक्खो तं पति, जं वट्टति तं तु होति पच्चक्खं / परतो पुण अक्खस्सा, वटैंतरे होति पारोक्खं // असु वावण धाऊओ, अक्खो जीवो उ भण्णते णियमा। जं वावयए भावे, णाणेणं तेण अक्खो त्ति // अस भोयणम्मि अहवा, सव्वद्दव्वाणि भोगमेतस्स। आगच्छंती जम्हा, पालेति य तेण अक्खो त्ति॥... केसिंचि इंदियाई, अक्खाई तदुवलद्धि पच्चक्खं। तं 'तु ण जुज्जति जम्हा, अग्गाहगमिंदियं विसए / रूवादीविसयाणं, जीवो खलु इंदिएहिँ उवलभगो। जम्हा मतम्मि जीवे, ण इंदिया उवलभे विसयं // तम्हा विसयाणं खल, अग्गाहगमिंदियं हवइ सिद्ध। जं इंदिएहिँ नज्जति, तं नाणं लिंगियं होति / 17. लिंगं चिंध निमित्तं, कारणमेगट्ठियाइँ एनाई। जाणाति इंदिएहिं, जीवो धूमेण अग्गिं व्व॥ एवं खु इंदिएहिं, जं नज्जति लिंगियं तगं नाणं / तम्हा सिद्धं अक्खो, न इंदिया पंच सोयादी॥ एत पसंगाभिहितं, जहकण्हुइ * इंदियाइँ पच्चक्खं / अहुणा उ इंदिएहिं, णातूणं ववहरे इणमो॥ 20. ____ सोइंदिएण सोउं, तस्स व अण्णस्स वावि पडिसेवं / चक्खिदिएण पडिसेविज्जंतमणयारं // 21. धूवादिगंधवासे, मूइंगलियादियं व उद्दवितं। कंदादि व खज्जंतं, गंधो वि रसो वि तत्थेव // 1.x (ला)। 2. नेय' (व्य 4030) / 3. वच्चंतं (पा, ला)। 4. बृ 25 / ५.पुण (पा)। 6. गहिंदियं (पा)। 7. बृ 26, तु. विभा 91 / 8. दटुं (ला)। 9. मूतिंग (मु)।