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________________ विषय-सूची 1960, 1961. धृति और बल के आधार पर / पुरुषों की चतुर्भगी। 2265-72. 1962-66. आत्मतर, परतर आदि पुरुषों के पांच प्रकार। 2273-77. 1967. कल्पस्थित, परिणत आदि पुरुषों | 2278-81. के आठ भेद। 1968. स्थिति के एकार्थक। 2282-89. 1969. छह प्रकार की कल्पस्थिति। | 2290-02. 1970-75. . स्थितकल्प एवं अनवस्थितकल्प | 2303-05. के भेद। 1976-91. आचेलक्य की व्याख्या। / 2306. 1992, 1993. औद्देशिक की व्याख्या। 2307. 1994-97. शय्यातरपिण्ड की व्याख्या। 1998-14. राजपिण्ड की व्याख्या। | 2308-50. 2015-18. कृतिकर्म की व्याख्या। 2019-24. पंचयाम और चातुर्याम की | 2351-71. व्याख्या। 2025-50.. पुरुषज्येष्ठ की व्याख्या। 2372-91. '2051-57.. प्रतिक्रमण की व्याख्या। 2058-94. मासकल्प की व्याख्या। 2392-94. 2095. स्थविरकल्प के दो प्रकार। 2096-11. पर्युषणाकल्प की व्याख्या। 2396-05. 2112-58. परिहारविशुद्धिकल्प का 2406-15. विवेचन। 2159-80. जिनकल्प का विवेचन। / 2416-23. 2181-94. स्थविरकल्प की व्याख्या। 2195-97. कल्पस्थित आदि को सापेक्ष | 2424-29. प्रायश्चित्त-दान का निर्देश। ___2198-64. भिक्षुओं के अनेक प्रकार और | 2430-64. उनके प्रति जीतव्यवहार। प्रतिसेवना की व्याख्या एवं प्रायश्चित्त। परिणाम के आधार पर प्रायश्चित्त / वैयावृत्त्यकर्ता मुनि के प्रायश्चित्त में अंतर। छेदार्ह प्रायश्चित्त की व्याख्या। मूलार्ह प्रायश्चित्त की व्याख्या। अनवस्थाप्य के दो भेद एवं उनकी व्याख्या। प्रद्विष्ट चित्त कौन? प्रतिसेवना अनवस्थाप्य के तीन भेद। साधर्मिक स्तैन्य की व्याख्या एवं उससे सम्बन्धित प्रायश्चित्त। अन्यधार्मिक स्तैन्य की व्याख्या एवं उससे सम्बन्धित प्रायश्चित्त। हस्तताल का वर्णन, उसके भेद, अपवाद एवं प्रायश्चित्त। हस्तालम्ब का स्वरूप। हस्तादान की व्याख्या। हस्तादान में दो वणिक् की कथा। हस्तादान करने वाले की उपस्थापना एवं प्रायश्चित्त। अनवस्थाप्य एवं पाराञ्चित में पुरुष भेद से भजना। अनवस्थाप्य प्रायश्चित्त के भेद एवं व्याख्या। पारिहारिक का विवेचन। 2395.
SR No.004291
Book TitleJeetkalp Sabhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jitkalpa
File Size15 MB
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