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________________ - जंबून्दीप // 'द्वीप' अर्थात् जिसके चारों ओर पानी हो और मध्य में रहने योग्य भूमि हो; ऐसे असंख्य द्वीप-समुद्रों के मध्य प्रमाणांगुल से निष्पन्न एक लाख योजन विस्तार वाला जंबूद्वीप है। यह जंबूद्वीप सभी द्वीप समुद्रों के मध्य में स्थित तथा सबसे छोटा है। यह प्रतिपूर्ण चंद्रमा अथवा तेल में तले पूए के समान चपटा व गोल है। पूर्व से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक यह एक लाख योजन का है। इसकी परिधि (चारों तरफ का घेरा) तीन लाख सोलह हजार दो सौ सत्ताईस योजन 3 कोस, 128 धनुष, साढ़े तेरह अंगुल, 5 यव और एक युका से कुछ अधिक है। इसके मध्य में 'नाभि' तुल्य मेरू पर्वत है। (चित्र क्रमांक 26) उत्तर पाताल कलश जम्बू द्वीप Jable bile PR Alhn S Blalt 12 thaible 6229 arape Caller 22 RPIRAND FDIOPPS hiple AIYAR KHADHA tRP RAL 2pOPIU 2 db De tres UPayanepal peshjanA sh अनुवेलंधर CHER IPEDISH higaa nabalh happala सूर्यद्वीप PHP Իրին वेलंधर 26 सुवा विजय 22PLODE 29 वल्गुविजय .31 गधिल विजय 2 गधिलावती THEIRHARIHA neeleb रसुकछ विजय ३माकच्छ विजय इते विजय ६मगलावताजय एकलावतं विजय INDI BIHa पश्चिम पाताल कलश वप्र विजय 5 HHHHHHHHHHHHHHHHI Japangal m सीबीमा नदी HHHHHHHHHHHHHHH कलश पाताल 23 कुमुद विजय सनलिन विजय सशखविजय .30 पदमावती विजय पूर्व विदेह। HHHHHHI 1 6 मगलावती विजय 19 महापय विजय 8 सुपा विजय 17 पचावजय HELELELELE कानगिरि .5 मणीय विजय .14 रम्यक् विजय .13 रम्य विजय २वत्तकावत विजय 11 महावत्स विजय 10 सुवत्सविजय .9 वत्स विजय ԻՐ Ի सयदीप वेलंघर गीतमदीप निषध पर्वत तिगिच्छ द्रह चन्द्रद्वीप वृत्तवैताव्य गंधापाती हरिकांता नदी हरी सलिला नदी सूर्यद्वीप 3. हरिवर्ष क्षेत्र महा पादह माहिमवत पर्वत वृत्तवैताग्य शब्दापाती रोहितांशा नदी . A 2. हिमवंत क्षेत्र रोहिता नदी लघु हिमवंत पर्वत Tiपदादह उत्तर खड४ तमित्रा अपभकूट खंडप्रपाता १.भरत क्षेत्र खंड 5 दीर्घ वैताव्य खड२ 0 अंतरद्वीप 1. भरत क्षेत्र खंड प्रभास - अयोध्या वरदाम मागध नवेलधर वेलंधर पाताल कलश केयुप चित्र क्र.26 दक्षिण 32 सचित्र जैन गणितानुयोग
SR No.004290
Book TitleJain Ganitanuyog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayshree Sadhvi
PublisherVijayshree Sadhvi
Publication Year2014
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size38 MB
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