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________________ 132 101 134 108 147 क्रम विषय पृष्ठ संख्या क्रम विषय पृष्ठ संख्या 39. अढ़ाई द्वीप |70. पर्व राहु से चन्द्रग्रहण 122 40. नंदीश्वर द्वीप 98 |71. चन्द्र के मार्ग में नक्षत्रों का संचार 126 41. कुंडल द्वीप 99 |72. नक्षत्रों की आकृति व उनके तारे 128 42. रुचक द्वीप | 73. अढ़ाई द्वीप में सूर्य व चन्द्र की पंक्तियाँ 43. असंख्य द्वीप-समुद्र | 74 अढ़ाई द्वीप के बाहर सूर्य-चन्द्र 44. तमस्काय का बाह्य दर्शन 102 45. तमस्काय के अंदर का दृश्य 102 अध्याय 4 : ऊर्वलोक के चित्र 46. मेरु पर्वत की प्रदक्षिणा करता ज्योतिष चक्र 104 | 1. ऊर्ध्वलोक 140 47. एक तारे से दूसरे तारे का अन्तर | 2. कृष्णराजियाँ और लोकान्तिक विमान 142 48. ध्रुव तारा 3. वैमानिक देवों के आवलिकाबद्ध और 49. सूर्य का सामान्य दर्शन पुष्पावकीर्ण विमान 50. सूर्य का वर्तुलाकार मंडल 108 वैमानिक के प्रतरों का दूरवर्ती दर्शन .. 148 51. जीवा कोटी के ऊपर सूर्य मंडल 5. सिद्धशिला और सिद्धात्माएँ 154 52. सर्वाभ्यन्तरमंडल से सर्वबाह्यमंडल में जाते सू. के 183 मार्ग अध्याय 5 : क्षेत्र व कालमान के चित्र 53. सर्वबाह्यमंडल से सर्वाभ सर्वाभ्यन्तरमंडल में / जाते सूर्य के 183 मार्ग 100|1. क्षेत्रमाप : अंगुल से धनुष तक 157 54. सूर्य के उदय-अस्त की व्यवस्था 110|2. भरत क्षेत्र में बाहा आदि आकृति 55. उदयास्त समय का अन्तरमान 111 | 3. आठ प्रकार के चतुर्भुज 162 56. जम्बूद्वीप में दिन-रात्रि का | 4. त्रिभुज आदि की आकृतियाँ विभाग करते दो सूर्य 112 | 5. घन की विविध आकृतियाँ 163 57. रात्रि-दिवस की हानि-वृद्धि का प्रमाण 112 | 6. अन्य क्षेत्र की आकृतियाँ 58. भारतीय ऐरवतीय सूर्य 113 |7. त्रिज्या, व्यास, क्षेत्रफल 163 59. दोनों सूर्यों का स्वतन्त्र मार्ग 113 / 8. पल्योपम काल माप का घनवृत्तपल्य 165 60. बाह्य आभ्यंतर मंडल में सूर्य की मुहूर्त गति 114 |9. जघन्य परित्त असंख्यात का कल्पित माप 168 61. ताप क्षेत्र का आकार 116 अध्याय 6: विज्ञानसम्मत 62. कर्क व मकर संक्रांति में सूर्य 117 63. सूर्य मंडल का मेरु पर्वत से अंतर 117 विश्व के चित्र 64. सूर्य मण्डल के मध्य अंतर | 1. वर्तमान पृथ्वी के पाँच विभाग 173 | 65. दोनों सूर्यों के मध्य अंतर अथवा 2. भारतवर्ष की मुख्य नदियाँ 175 मंडल की लम्बाई-चौड़ाई 3. विज्ञानसम्मत सौरमंडल 176 | 66. उदय-अस्त के समय सूर्य का लालवर्ण ___119 | 4. ईगल नेबुला 179 67. चन्द्र विमान स्वान नेबुला 179 68. पृथ्वी पर चन्द्रदर्शन एवं तिथियाँ 121 6. आकाशगंगा 180 69. नित्य राहु से होने वाली पाक्षिकी हानि-वृद्धि 122 162 163 118 118 120 (xviii)
SR No.004290
Book TitleJain Ganitanuyog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayshree Sadhvi
PublisherVijayshree Sadhvi
Publication Year2014
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size38 MB
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