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________________ गणितानुयोग का गर्भ (अनुक्रमणिका) क्रम विषय पृष्ठ संख्या क्रम विषय पृष्ठ संख्या अध्याय 1 : लोक वर्णन * लोक अधिकार 1. लोक और अलोक 2. अलोक में लोक की स्थिति 3. लोक का संस्थान 4. लोक का परिमाण 5. लोक का घनफल 6. लोक में त्रसनाड़ी 7. वलयाकार लोक 8. सम्पूर्ण लोक के मध्य स्थान 9. दिशाओं का निर्णय 10. दस दिशाओं के नाम अध्याय 2 : अधोलोक * नरक अधिकार 2. सात नरक पृथ्वियाँ : नाम और स्वरूप 2. नरकों में वलय की स्थिति 3. नरकावासों के आकार व प्रकार 4. नरकावासों की विशालता 5. नरकावासों की भमि 6. नारकियों के उत्पत्ति स्थान 7. नारकी जीवों की संख्या 8. नारकी जीवों के लेश्या परिणाम 9. नरक के जीवों की वेदना | 10. सैंकड़ों वेदनाओं में साता के कुछ क्षण 11. नरक में उत्पन्न जीव 12. नारकियों की गति * भवनपति देव 13. भवनपति देवों के इन्द्र 14. भवनपतियों के भवन 15. परमाधर्मी देव 16. परमाधर्मी देवों की जलचर मनुष्यों में उत्पत्ति 23 अध्याय 3 : मध्यलोक * व्यन्तर और वाणव्यन्तर देव 2. व्यन्तरों के आवास 3. व्यन्तर देवों की ऋद्धि 4. व्यन्तर देवों में उत्पत्ति के कारण * मेरू पर्वत 5. मेरु पर्वत के चार वन 6. अभिषेक शिलाएँ | 7. तीर्थंकर जन्मोत्सव विधि (8. मेरु पर्वत की चूलिका 19. मेरु पर्वत के नाम * जम्बूद्वीप 10. जम्बूद्वीप नाम 11. जम्बूद्वीप की जगती 12. पद्मवरवेदिका 13. वनखण्ड 14. जम्बूद्वीप के चार द्वार 15. जम्बूद्वीप में सात क्षेत्र . भरत क्षेत्र 16. दक्षिणार्द्ध एवं उत्तरार्द्ध भरत | 17. वैताढ्य पर्वत 18. तमिस्रा व खण्डप्रपात गुफा 19. उमग्नजला व निमग्नजला महनदियाँ (xiii)
SR No.004290
Book TitleJain Ganitanuyog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayshree Sadhvi
PublisherVijayshree Sadhvi
Publication Year2014
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size38 MB
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