________________ ऊर्ध्वलोक पश्चिम सिद्धक्षेत्र (अनंत सिद्ध) अपराजितअ 5 अनुत्तर विमान (1 प्रतर) जयंत सर्वार्थ सिद्ध -सिद्ध शिला - विजय -वैजयन्त तृतीय त्रिक द्वितीय त्रिक प्रथम त्रिक 19 ग्रैवयक के 9 प्रतर आकाश 12 देवलोक 11 14 प्रतर 10 घनोदधि 4 प्रतर और घनवात >4 प्रतर 5 प्रतर -6 प्रतर दक्षिण उत्तर घनवात -9 लोकांतिक 12 प्रतर घनवात 2 देवलोक 1 3) किल्विषी 13 प्रतर 13 प्रतर घनोदधि मध्यलोक (तिर्छालोक) (1800 योजन ऊँचा) मेरु पर्वत चर-अचर ज्योतिष चक्र 10 जुंभक देव असंख्य द्वीप समुद्र 7 राजू की ऊँचाई चित्र क्र.95 140 सचित्र जैन गणितानुयोग