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________________ 12. चन्द्र की सर्वाभ्यन्तर मण्डल में एक मुहूर्त में गति 5073-7744/13,725 योजन है। 13. सर्व बाह्य मंडल में चन्द्र की मुहूर्त गति साधिक 5125 योजन है। 14. चन्द्र को एक मण्डल पूर्ण करने में 2-31/442 दिन लगते हैं। 15. नक्षत्र और चन्द्र दोनों की 1,3,6,7,8, 10, 11, 15 मण्डलों में एक साथ गति होती है। 2,4,5,9,12, 13, 14 मण्डलों में अकेले चन्द्र की ही गति होती है। 1,3,11, 15 मण्डलों में चन्द्र व नक्षत्र के साथ सूर्य की भी गति होती है। 16. चन्द्र के सभी नक्षत्रों में भोगकाल के मुहूर्त 919-27/67 होते हैं व दिन 27-21/67 होते हैं। 17. चन्द्र भोग्य 28 नक्षत्रों में पहला नक्षत्र अभिजित है। 18. एक अभिवर्द्धित वर्ष के चन्द्रमास 13 होते हैं एवं एक चन्द्र मास 29-32/62 अहोरात्रि का होता है। 19. एक चन्द्र वर्ष 354-12/62 दिन का होता है और एक तिथि 29 मुहूर्त की होती है। 20. एक युग में 134 चन्द्रायण होते हैं और एक चन्द्र अयन की कुल अहोरात्रि 13-44/67 होती है। 21. एक युग में चन्द्र अपने 884 मण्डलों को पूर्ण करता है। 22. एक युग में 30 ऋतुएँ और 54,900 मुहूर्त होते हैं। 23. एक ऋतु के 67 दिवस होते हैं और एक ऋतु संवत्सर 367 दिन का होता है। 24. एक ग्रह विमान का विष्कंभ 2 कोस और नक्षत्र विमान का व्यास एक कोस है। 25. एक मुहूर्त में चन्द्र नक्षत्र के 67 क्षेत्रांश का अतिक्रमण करता है।' देव जघन्य प्रवीचार / ज्योतिष देवों की तालिका निवास - भेद इन्द्र लेश्या शरीर की उत्कृष्ट ऊँचाई आयु आयु 2 7 धनुष कुछ अधिक - 1/8 पल्य एकपल्य ज्योतिष्क देव 5 | काया प्रवीचार 1/4 पल्य चन्द्र मध्यलोक में पृथ्वी तल से 790 योजन से 900 योजन तक अर्थात् 110 योजन प्रमाण ज्योतिष मण्डल हैं। कृष्ण-नील-कापोत जघन्य पीत लेश्या 1/8 पल्य 1 हजार वर्ष अधिक 1 पल्य 1 लाख वर्ष अधिक 1 पल्य आधा पल्य 1 पल्य 1/4 पल्य नक्षत्र ग्रह 1/8 पल्य 1/8 पल्य 1/8 पल्य " " " तारागण 1. संग्रहणी रत्नम् - अनुवादक - पूज्य मुनि श्री यशोविजय जी म. सा. - - - -- 138 AA S ARASA सचित्र जैन गणितानुयोग
SR No.004290
Book TitleJain Ganitanuyog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayshree Sadhvi
PublisherVijayshree Sadhvi
Publication Year2014
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size38 MB
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