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________________ मंडल पर गमन नहीं करते। अर्थात् प्रत्येक नक्षत्र के आठ-आठ मंडल नहीं है, परन्तु अमुक नक्षत्र का अमुक मंडल है, वह इस प्रकार है नक्षत्र मंडल / स्थान प्रथम मंडल - जम्बूद्वीप जम्बूद्वीप लवण समुद्र लवण समुद्र दूसरा मंडल तीसरा मंडल चौथा मंडल पाँचवाँ मंडल छठवाँ मंडल सातवाँ मंडल आठवाँ मंडल अभिजित, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषक, पू. भा., उ. भा., रेवती, अश्विनी, भरणी, पू. फ., उ. फा., स्वाति = 12 नक्षत्र / पुनर्वसु और मघा = 2 नक्षत्र कृतिका चित्रा, रोहिणी = 2 नक्षत्र | विशाखा ... अनुराधा लवण समुद्र लवण समुद्र लवण समुद्र ज्येष्ठा लवण समुद्र आर्द्रा, मृगशिरा, पुष्य, आश्लेषा, मूल, हस्त, पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा = 8 नक्षत्र / नक्षत्र मंडल और मेरु के मध्य अंतर-जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत से सर्वाभ्यन्तर नक्षत्र मंडल 44,820 योजन तथा सर्वबाह्य मंडल 45,330 योजन दूर है। नक्षत्र मंडल, चन्द्र से 4 योजन ऊपर होने के कारण चन्द्र मंडल के समान ही नक्षत्र मंडल का मेरु से उक्त अंतर है। नक्षत्र मंडल की लम्बाई, चौड़ाई, परिधि आदि भी इसी प्रकार चन्द्र मंडल के समान ही (99,640 यो. प्रथम मंडल तथा 1,00,660 योजन सर्वबाह्य मंडल) समझना चाहिए। नक्षत्रों का परिभ्रमण क्षेत्र-आभ्यन्तर मंडल में 12 नक्षत्र हैं। उनमें अभिजित नक्षत्र का विमान मेरु के सबसे निकट है। मूल नक्षत्र सर्वबाह्य मंडल के 8 नक्षत्रों की अपेक्षा लवण समुद्र की तरफ अधिक बाहर है। स्वाति नक्षत्र ऊँचाई में सबसे ऊपर और भरणी नक्षत्र का भ्रमण क्षेत्र सर्व नक्षत्रों की अपेक्षा कुछ नीचे है। कुल, उपकुल और कुलोपकुल नक्षत्र जिन नक्षत्रों द्वारा महीनों की परिसमाप्ति होती है, वे माससदृश नाम वाले नक्षत्र 'कुल' कहे जाते हैं। जो कुलों के अधस्तन होते हैं, कुलों के समीप होते हैं, वे उपकुल' कहे जाते हैं। वे भी मास समापक होते हैं। जो कुलों तथा उपकुलों के अधस्तन होते हैं, वे 'कुलोपकुल' कहे जाते हैं। जैसे श्रावणी पूर्णिमा के दिन धनिष्ठा कुल, श्रवण उपकुल और अभिजित कुलोपकुल नक्षत्र हैं। भादवा की पूर्णिमा को उत्तरभाद्रपद कुल, पूर्व भाद्रपद उपकुल और शतभिषा कुलोपकुल नक्षत्र है। आगे भी इसी प्रकार जानना। 124 सचित्र जैन गणितानुयोग
SR No.004290
Book TitleJain Ganitanuyog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayshree Sadhvi
PublisherVijayshree Sadhvi
Publication Year2014
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size38 MB
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