________________ अध्याय 10 स्वचलता यह दिखलाया जा चुका है कि वनस्पति मन्द से मन्द उद्दीपना के प्रति अनु - क्रिया करती है / वनस्पति की प्रत्येक अनुक्रिया-गति, ठीक प्राणियों की तरह किसी निश्चित कारण का निर्देश करती है, क्योंकि इस गति का कारण पूर्व-उद्दीपना है। और भी गतियाँ हैं जो इससे भी अधिक रहस्यपूर्ण हैं / ऐसा ज्ञात होता है कि उन गतियों का कोई कारण नहीं होता। उदाहरण के लिए, लगता है कि हृदय स्वतः स्पन्दित होता है। हृदय के आकस्मिक संकुचन के बाद उसका विस्तार होता है और जीवन पर्यन्त यही स्पन्दलय स्वतः बनी रहती है। इन स्वतः क्रियाओं का कोई अज्ञात और रहस्यमय अंतरंग कारण है / अतः इस स्वचलता के रहस्य का क्या समाधान है ? यद्यपि ऐसी स्वतः गतियाँ प्रायः प्राणियों से ही सम्बन्धित हैं फिर भी इसी प्रकार की सक्रियता वनस्पति में भी है। इसका उदाहरण है परिभ्रामी शालपी (Telegraph plant, Desmodium चित्र ४०-डेस्मोडियम गाइरेंस gyrans) / गंगा के किनारे इसके जंगल हैं और सच का पर्ण, दो छोटी पार्वतः कहा जाय तो इसकी पत्तियों की सतत सक्रियता से पत्तियाँ स्वतः स्फूर्त गतियों अधिक आश्चर्यजनक कोई घटना नहीं है। इसके का प्रदर्शन करती हैं। : संयुक्त पर्ण में तीन पत्तियाँ होती हैं / एक बड़ी पत्ती आगे होती है और पीछे दो छोटी (चि 40.) / ये दोनों छोटी पत्तियां, जिस प्रकार का संकेत-बाहु (Semaphore) दूरलिख-संकेत (Telegraphic Signalling) के लिए काम में लाया जाता था, वैसे ही ऊपर-नीचे होती रहती हैं। गरमी के दिनों में ये पतियाँ निरन्तर ऊपर-नीचे नाचती रहती हैं। भारतीय कृषकों का विश्वास है कि वे उँगली चटकाने से भी नाचने