________________ वनस्पतियों के स्वलेख जिसे हम पढ़ सकते हैं। क्या अब यह नहीं कहा जा सकता कि उनकी कहानी का कारुण्य हमारी कल्पना की सीमा के परे है ? जीवन की इस एकता को जानने के बाद क्या हमारी रहस्य-सीमा और अधिक गहन या न्यून हो जाती है ? जीवन का अनन्त विस्तार जो नीरव और मूक है, और भी अधिक विस्मयकारी जटिलता का सूचक है। क्या यह.जान कर हमारा आश्चर्य कुछ कम हो जाता है ? क्या विज्ञान हमारा आश्चर्य और गहन नहीं करता? क्या विज्ञान की प्रत्येक उन्नति हमारे लिए उस प्रस्तर-सोपान की एक-एक सीढ़ीनहीं है जिस पर प्रत्येक मनुष्य को, जो आत्मा के उत्तुंग शिखर से सत्य के प्रतिश्रुत लोक को देखने की इच्छा करता है, चढ़ना पड़ता है ?