________________ 66 वनस्पतियों के स्वलेख युवा और शक्तिशाली नमूनों में यह मृत्यु-वेदना अत्यधिक प्रचण्ड होती है और जैसे आयु बढ़ती जाती है, इसकी प्रचण्डता कम होती जाती है। अत्यधिक वृद्ध आयु में जीवन-रेखा के अभिलेख का मृत्यु-रेखा में परिवर्तन प्रायः अदृश्य-सा होता है। ___ यदि पौधा पहले से ही उद्दीपना के आधिक्य से श्रान्त रहता है, तब मृत्युबिन्दु लघुतर तापमान पर ही पहुँच जाता है। एक परीक्षण विशेष में श्रान्त पौधे की 37deg से० पर ही मृत्यु हो गयी। इसका अर्थ हुआ कि मृत्यु-बिन्दु कम से कम 23deg सें० घट गया। मृत्यु-उत्तेजना का पारेषण पौधे को अनेक जीवित एककों (Units) का उपनिवेश समझना चाहिए और यह भी सम्भव है कि उसके एक अंश को नष्ट कर देने पर भी दूसरे अंश जीवित रहें। यदि पौधे का एक अंश मृत हो जाय तो क्या होगा? यदि मृत्यु के समय उद्दीपना अत्यधिक बलशाली है तब उसका पारेषण होगा और दूर के गतिशील अंगों में भी उचित अनुक्रिया का कारण बनेगा। यह उल्लिखित निम्नोक्त संपरीक्षण द्वारा प्रदर्शित किया गया है-- ___ लाजवन्ती के अधोभाग को जल में रख कर उसका तापमान बढ़ाया गया। निर्णायक बिन्दु पर अत्यधिक शक्तिशाली उद्दीपना दी गयी जो ऊपर उठती गयी और इसके कारण ऊपर की सभी पत्तियाँ क्रमिक रूप से गिर गयीं। जल में डूबे हुए अंश की स्थानीय मृत्यु ही इस उद्दीपना का कारण थी, यह इससे प्रमाणित हो गया, क्योंकि बीस मिनट बाद ही ऊपर की सब पत्तियाँ फिर से सजग हो गयीं। जल को ठंडा करने के बाद फिर से गरम किया गया। किन्तु उसका कुछ भी प्रभाव नहीं हुआ, क्योंकि डूबा हुआ अंश मृत था। तब वनस्पति को एक इंच के करीब और डुबाया गया और इसी प्रकार संपरीक्षण को दुहराया गया, तब उस नये अंश की मृत्यु के कारण एक नयी उद्दीपना हुई। इस संक्रामित उद्दीपना की अनुक्रिया यह हई कि फिर से पत्तियाँ क्रमिक रूप में गिर गयीं। यह सिद्ध करता है कि मृत्यु के समय ऊतको में उद्दीपना अत्यधिक शक्तिशाली होती है। इसी प्रकार यदि ऊतक का एक अंश विष में रखा जाय तो वह मृत्यु के समय उद्दीप्त प्रेरणा प्रदर्शित करेगा। यदि विष अधिक शक्तिशाली और प्रचण्ड है तब यह सब और शीघ्र होगा। यदि विष को घोल कर दिया जायगा तब देर लगेगी, क्योंकि तब उसको मृत्यु-बिन्दु तक पहुँचाने के लिए देर तक देना पड़ेगा।