________________ जीवन और मृत्यु की वक्र रेखा 63 (Disintegrated) हो जाता है और यहीं से चारों ओर फैलता है। हेमन्त काल में पत्तियाँ अत्यधिक चमकीली हो जाती हैं, इसका कारण है मृत्यु के पूर्व की उत्तेजित लाली। __ मृत्यु में विद्युत्-विसर्जन (Electric discharge) __ में पहले ही विस्तृत रूप से बता चुका हूँ कि किस प्रकार वे परिवर्तन जो हमारी परिनिरीक्षा के बाहर होते हैं, उन्हें भी हम विद्युत्-विभिन्नता (Electric variations) द्वारा जान सकते हैं। आकस्मिक उद्दीपना द्वारा ऋण विद्युत्-परिवर्तन होता है। मैं अभी यह बताऊँगा कि मृत्यु के समय विद्युत्-मोचन होता है। प्रदर्शन की सरल रीति यह है : एक हरे मटर का आधा भाग लीजिये और उसके बाहरी और भीतरी भाग को एक 'गैलवनोमीटर' से जोड़ दीजिये / गरम पानी में इस आधे मटर को रखकर उसके तापमान को धीरे-धीरे बढ़ाइये। 60deg से० यानी मृत्युबिन्दु पर उसके अवयवों द्वारा एक अत्यधिक शक्तिशाली विद्युत्-मोचन होगा। मृत्यु के समय जो विद्युत-परिवर्तन होता है, वह अत्यधिक ऊँचा होता है. कभी-कभी 0.5 वोल्ट तक पहुँच जाता है। यदि आधे मटर के 500 जोड़े कतार में सजा दिये जायँ, तो अवसानिक विद्युत्-दाब (Terminal electrical pressure) 500 वोल्ट का होगा और असावधान मनुष्य विद्युत्-मारण (Electrocution) द्वारा इसके शिकार हो सकते है / क्या ही अच्छा है कि भोजन बनाने वालों को इस विशेष खाद्य के पकाने का खतरा मालूम नहीं है और यह भी उनके सौभाग्य की बात है कि ये मटर श्रेणीबद्ध नहीं रहते। स्मृति की पुनश्चेतना अब हम मृत्यु के पहले होने वाले विद्युत्-अंग-संकुचन (Electrical spasin) से सम्बन्धित एक अत्यधिक रोचक गौण (Secondary) प्रभाव के विषय में विचार करेंगे / मै स्मृति के उस अकस्मात् पुनः लौटने का उल्लेख कर रहा हूँ, जिसके विषय में हमने पहले से सुन रखा है। यहाँ मैं उस अनुसन्धान के विषय में थोड़ासा उल्लेख करूँगा जिसे मैंने स्मृति की आधारभूत पृष्ठभूमि में किया। उद्दीपना के प्रत्येक आघात के बाद अनुक्रिया तल का आणविक व्याकर्षण (Molecular distortion) होता है और इस व्याकर्षण के बाद प्रत्यादान (Recovery) बहुत धीरे-धीरे होता है। यह प्रत्यादान कभी सम्पूर्ण नहीं होता। उद्दीपना से पड़े चिह्नों के निशान गुप्त बिम्ब के रूप में रह जाते हैं। ये बिम्ब सूक्ष्मदर्शी (Microscope) में भी नहीं दिखते। किन्तु उपयुक्त अवस्थाओं में यह अदृश्य लेख दिखाई