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________________ प्रकार के निश्चेतकों का प्रभाव उस पर वैसा ही पड़ता है जैसा मनुष्य अथवा अन्य जीवधारियों पर / सूर्योदय और सूर्यास्त, दिन और रात तथा समस्त प्रकृति-व्यापारों को समझने और जानने के लिए वह सक्षम है। संक्षेप में वनस्पति सचेतन, सप्राण और संवेदनशील है। ___ अपनी इन मान्यताओं और तथ्यों को सिद्ध करने के लिए वसु महोदय ने अनेक जटिल और सूक्ष्म वैज्ञानिक यंत्रों और उपकरणों का आविष्कार किया और उनके माध्यम से वनस्पति की चेतनशीलता और संवेदनशीलता को प्रदर्शित कर संसार को न केवल आश्चर्य में डाल दिया अपितु वनस्पति के प्रति मनुष्य के दृष्टिकोण में आमूल परिवर्तन कर दिया। उनके इन अनुसंधानों से वनस्पति-विज्ञान को नवीन दिशा मिली। श्री बोस की ये सभी महान उपलब्धियां और एतद्विषयक उनके प्रयोग और उनके प्रतिफल 'प्लाण्ट आटोग्राफ्स ऐण्ड देयर रिवीलेशन्स' नामक उनकी कृति में संकलित हैं। उनकी इसी कृति का हिन्दी रूपान्तर "वनस्पतियों के स्वलेख" शीर्षक से प्रस्तुत किया जा रहा है। इसमें श्री वसु के यंत्रों और उपकरणों के चित्रों और रेखाचित्रों को अविकल रूप से ज्यों-का-त्यों उद्धृत किया गया है। इसका हिन्दी अनुवाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध प्राध्यापक डाक्टर रामदेव मिश्र ने प्रस्तुत किया है। पुस्तक की भाषा सँवारने और उसे इस रूप में प्रस्तुत करने का कार्य प्रमुखतः हमारी हिन्दी समिति के प्रधान सम्पादक श्री रमाकान्त श्रीवास्तव ने किया है। मैं उन्हें तथा सेण्ट्रल प्रेस के व्यवस्था विभाग को एतदर्थ धन्यवाद देता हूँ। मुझे विश्वास है, श्री जगदीश चन्द्र वसु की इस प्रसिद्ध कृति का यह हिन्दी रूपान्तर लोकप्रिय होगा और हमारे पाठक इसके माध्यम से वसुधा के आंगन में सुविस्तृत वनस्पतियों की मूक कहानी के प्रति यथेष्ट अभिरुचि प्रदर्शित करेंगे। Prislona.commy राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन हिन्दी भवन लखनऊ कार्तिक पूर्णिमा, 2030 वि० सचिव, हिन्दी समिति उत्तर प्रदेश शासन
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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