________________ वनस्पति की निद्रा किस प्रकार वनस्पति के उत्तर की अनुक्रिया की गति का अभिलेखन किया जाय। चित्र सं० 27 में एक विशेष निद्रा-अभिलेखक का रेखाचित्र है। इसीसे इस समस्या का समाधान किया गया है। निद्रा-अभिलेखक लाजवन्ती के पर्ण को धाग द्वारा अल्मनियम के एक उत्तोलक की बाँह में बाँधा जाता है। अभिलेखक हस्तक के लम्बकोण पर रहता है जो काँच के एक धूमित पट्ट पर इस पर्ण की अनुक्रिया-गति को लिखता जाता है। इसे एक निश्चित गति से गिराया जाता है। एक निश्चित उद्दीपना द्वारा पर्ण गिर जाता है और नियत समय पर अनुक्रिया का विस्तार, पौधे को उत्तेजना-शक्ति का माप लेता है। एक निश्चित समय बाद, मान लीजिये एक घंटे बाद, फिर से दूसरी उद्दीपना दी जाती है और तब संवादी अनुक्रिया से ज्ञात होता है कि पौधे की उददीपना-शक्ति या चेतना उसी प्रकार की है या परिवर्तित हुई है। चित्र २८--इस अवधि में, मध्यम शीतलता का प्रभाव नीचे क्षैतिज रेखा द्वारा दिखाया गया है। प्रश्न करने वाला आघात वैद्युतिक होता है जिसकी प्रभावी मात्रा को पूर्ण रूप से समान रखना पड़ता है। द्वितीय कुण्डल को मुख्य कुण्ड ल से उपयुक्त दूरी पर रखा जाता है और मुख्य विद्युत् परिवहन को एक निश्चित समय में पूरा करने के लिए आघात का समय समान रखा जाता है। डूबी हुई शलाका द्वारा मुख्य परिवहन