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________________ विद्युत्-अनुक्रिया एकसमान अनुक्रिया अब मैं वनस्पति की विद्युत्-अनुक्रिया और विभिन्न बाह्य परिस्थितियों में उनकी संपरिवर्तनशीलता का अभिलेख प्रस्तुत करूँगा / जहाँ तक पौधों की सामान्य संवेदनशीलता का प्रश्न है, गाजर से अधिक संवेदन-शून्य और निष्क्रिय वनस्पति की कल्पना नहीं की जा सकती। यह अत्यधिक उत्तेजनापूर्ण होती है और एक लम्बी अवधि तक उसकी अनुक्रियाएँ बड़ी प्रबल और क्रमिक होती हैं जिन्हें देखकर आश्चर्य होता है। श्रान्ति गाजर एकसमान अनुक्रिया की एक लम्बी शृंखला प्रस्तुत करती है। दूसरी ओर, कुछ पौधे शीघ्र थक जाते हैं, जैसे प्रयवानी (Celery) / किन्तु जब विश्राम की अवधि कम कर दी जाती है तब सभी पौध थकते हए पाये जाते हैं (चित्र 24) / लाजवन्ती की यान्त्रिक अनुक्रियाओं में भी इसी प्रकार का प्रभाव पाया गया था (चित्र 10) / तापमान का प्रभाव चित्र २४-विश्राम की लघुकृत अवधि में न्यूनतम तापमान घातक होता है वैद्युत अनुक्रिया की थकावट / और उष्णकटिबंधीय वनस्पति इसकी शिकार जल्दी हो जाती है। इस प्रकार उष्णदेशीय यूकैरिस लिली (Eucharis lily) को जब पन्द्रह मिनट तक हिमांक पर रखा गया तब उसकी वैद्युत अनुक्रिया पूर्ण रूप से समाप्त हो गयी। किन्तु उसी तापमान में जब उत्तरांचल की वनस्पति जैसे हौली (Holly) और आइवी (Ivy) को रखा गया तब उनकी विद्युत्-अनुक्रिया मिलती रही। विष का प्रभाव मैंने अश्वफल (Horse-Chestnut) के बीस पर्णवन्त लेकर उन्हें दस-दस के दो समूहों में बाँटा / एक समूह को पानी में नियन्त्रण के लिए रखा और दूसरे दल के कटे हुए छोरों को पारद नीरेय (म यूरिक ल्कोराइड) नामक विख्यात विष के घोल में रखा / इन पर बहुत से जूं (प्लाण्ट लाइस) निवास कर रहे थे। चौबीस घंटे के बाद देखा गया कि पानी में रखे हुए पर्णवन्त की औसत विद्युत-अनुक्रिया गैलवनोमीटर स्केल के संभार-श्रेणी के तेईस भाग तकथी, तथा उसके जूं, अभी तक जोवित थे। दूसरी
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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