________________ 78 वनस्पतियों के स्वलेख आघात् पहुँचाया जाता है। यह स्मरण रखना चाहिये कि इस बीच कम्पायमान अभिलेखक निरन्तर समय चिह्न (बिन्दु के रूप में) बनाता जा रहा है। प्रस्तुत प्रयोग में इन क्रमबद्ध बिन्दुओं का अन्तर सेकेण्ड का हल था। यद्यपि वनस्पति को चित्र ८--लाजवन्ती की गुप्त अवधि का अभिलेख, 200 कम्पन अभिलेखक सहित / उदग्र चिह्न (चित्र 4) पर आघात पहुँचा था परन्तु तत्काल कोई उत्तर नहीं मिला। दस बिन्दु तक कोई उत्तर नहीं मिला / पन्द्रह बिन्दुओं के बाद ही पौधा गतिमान हुआ / इसलिए इस प्रादर्श (Specimen) का "अव्यक्त काल" सेकण्ड का 0 075 था। थकावट अब हम 'अव्यक्त काल' पर श्रान्ति के प्रभाव के बारे में खोज करेंगे। एक विशिष्ट प्रादर्श का "अव्यक्त काल" ताजे रहने की दशा में 0.1 सेकेण्ड था। दूसरा अभिलेख, पूर्व आघात से पौधे के स्वस्थता-लाभ करने के पहले ही लिया गया जिसके कारण उस समय पौधा श्रान्त था। अब “अव्यक्त काल" 0.10 सेकण्ड से बढ़कर 0.14 सेकण्ड हो गया था। ताजे होने की दशा में उत्तर प्रबल है और मोड़ अधिक चित्र-गुप्त अवधि को बढ़ाने में सीधी रहती है। श्रान्ति की दशा में उत्तर मन्द थकावट का प्रभाव / ऊपरी अभि- और मोड़ अधिक झुकी रहती है। लेख, सामान्य; नीचे का अभिलेख, (चित्र सं०६)। थकावट; प्रति सेकेण्ड कम्पन की इस प्रकार पौधा विश्रान्त होने पर आवृत्ति 50 / मन्द और अकर्मण्य हो जाता है। अत्यधिक श्रान्त