________________ वनस्पति-लिपि करते हैं जैसे चिकोटी, एक गर्म तार या एक बूंद अम्ल / किन्तु ये पौधों को तुरन्त गम्भीर हानि पहुँचा सकते हैं इसलिए उपयुक्त नहीं हैं, मुख्यतः पुनरावृत्ति के लिए। इससे अच्छा उपाय है प्रेरण कुंडली (Induction coil) द्वारा विद्युत्वाह से आघात करना जिससे ये लाभ होते हैं-यदि आघात अत्यधिक शक्तिशाली न हो तो इससे पौधे को चोट नहीं लगती; दूसरे क्रमिक माघात सदैव स्थिर रखे जा सकते हैं, तीसरे आवश्यकतानुसार आघात की तीव्रता धीरे-धीरे बदली जा सकती है। प्ररोचन-यंत्र में दो कुंडली होती हैं-एक मुख्य और दूसरी गौण / आघात की तीव्रता धीरे-धीरे गौण कुंडली को मुख्य कुंडली के समीपतर लाकर बढ़ायी जा सकती है (चित्र 3) / . जब पर्ण उद्दीपन द्वारा गिरता है तो वह उत्तो लक का दाहिना सिरा नीचे गिराता है जिससे अभि- चित्र २-अनुक्रिया-अभिलेखक ऊपर की ओर रेखा खींचता हआ बायीं ओर लेखक का आरेखीय निरूपण। चलता है / शनैः शनैः पर्ण पर से आघात का प्रभाव समाप्त हो जाता है और वह फिर चित्र ३-प्ररोचन आघात देने की व्यवस्था / K, मुख्य परिपथ में कुञ्जी। खड़ा हो जाता है और स्वस्थ होने की निम्न रेखा बनाता है। ऊपर और नीचे के धुमाव मिलकर अनुक्रिया का एक स्पन्दन बनाते हैं / ऊपर का घुमाव जो सिकुड़न