________________ प्राणी और वनस्पति पर ऐलकालायड और नाग-विष की क्रिया 161 में हो। यह तो स्पष्ट ही है कि जो हृदय स्वयं ही अधिकतम सक्रियता में है उसकी सक्रियता बढ़ाने की चेष्टा का विशेष प्रभाव नहीं हो सकता। चित्र 60 के ऊपरी अभिलेख में प्राणी-हृदय के स्पन्दन का स्वाभाविक अभिलेख दिखाया गया है। फिर कर्पूर-एक सहस्र में दो भाग-को सूई लगायी गयी। इससे हृत्स्पन्द यथेष्ट द्रुत हो गया जैसा निम्न अभिलेख में है-- चित्र 11 में कर्पूर का पौधे पर प्रभाव दिखाया गया है। स्पन्दन का प्रारम्भिक विस्तार मन्द था, इसलिए अभिलेख एक क्षैतिज रेखा दिखाता है / कर्पूर के Br MK चित्र९५-रस-दाब के उन्नयन में कस्तूरी का और निम्नन में पोटसियम ब्रोपोमाइड का प्रभाव। मन्द घोल को देन से दाब अकस्मात् बढ़ गया, जैसा ऊपर उठते हुए मोड़ से दिखाया नया है जिसमें संघटक स्पन्दन के ऊपरी आघात, निम्न आघात से बड़े हैं। मुझ अन्य उद्दीपकों, जैसे कस्तूरी का समान परिणाम मिला। बशर्ते कि मात्रा अधिक न हो।