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________________ 130 वनस्पतियों के स्वलेख लेख एक धूमित काँच-पट्ट पर लिया जाता है। एक विद्युत्-चुम्बकीय युक्ति द्वारा यह उत्तोलक दो से दस सेकेण्ड तक के अन्तर पर इस अभिलेख-पट्ट पर क्रमिक बिन्दुओं का अभिलेखन करता है (चित्र 71) / एक कटी हुई डाल के पर्ण की अनुक्रिया प्रायः वही होती है जो जड़-सहित एक समूचे पौधे की होती है / कटी डाल इधर-उधर आसानी से घमायी-फिरायी जा सकने के कारण परीक्षण के लिए स्पष्टतः अधिक उपयुक्त है। विभिन्न घोलों से भरी दो प्रयोग-नलियाँ एक घूमती हुई शलाका पर चढ़ा दी जाती हैं। ये एक हस्तक द्वारा ऊपर-नीचे की जा सकती हैं / इस प्रकार डाल Je SC चित्र ७२--रसायन प्रावसादक और उद्दीपना द्वारा रस के आरोह का क्रमिक रोध और वृद्धि / के कटे हुए भाग को उद्दीपना या निम्नन द्वारा या शीतल अथवा ऊष्म जल से उपयुक्त क्रियाशील कराया जा सकता है / वनस्पति या प्राणी में नोदक (Propulsive) यन्त्र रचना की समान क्रिया के प्रदर्शन के लिए मैं उद्दीपक या निम्नन के विपरीत प्रभावों का एक विस्तृत विवरण दूंगा। पर्ण एक संतुलित क्षतिज स्थिति में था / पोटैसियम ब्रोमाइड (Potassium Bromide) के घोल द्वारा अवनमन इतना अधिक हुआ कि पर्ण द्रुत गति से गिर गया / कपूर की, जो उद्दीपक है,
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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