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________________ वनस्पतियों के स्वलेखे आन्तरिक तरल स्थैतिक दाब का प्रभाव शालपर्णी (Desmodium) की पत्ती में आन्तरिक दाब के कम होने पर स्पन्दन-क्रिया रुक जाती है, जैसा शुष्क अवस्था में होता है / फिर सींचने पर स्पन्दन पुनः प्रारम्भ हो जाता है। इसी प्रकार शुष्कता में वृद्धि भी रुक जाती है / यह एक रोचक बात है कि अगर दो-चार बूंद पानी जड़ में डाल दिया जाय तो दो-चार वृद्धि-स्पन्दन हो जाते हैं, जो फिर शीघ्र ही समाप्त भी हो जाते हैं। अधिक सिंचाई करने पर सतत वृद्धि निश्चित है / अधिक आन्तरिक दाब या आशूनता (Turgor) की वर्धित अवस्था वृद्धि की गति को बढ़ा देती है। पम्प क्रिया द्वारा, जो वृद्धि-स्थान को रस देती है, ऊतक की आशूनता स्थिर रहती है। साधारणतया यह कहा जा सकता है कि कोई भी अवस्था जो रसारोहण को बढ़ाती है, आशूनता और वृद्धि की गति को भी बढ़ाती है। इसके विपरीत जो अवस्थाएँ वृद्धि को रोकती हैं या आशूनता को घटाती हैं, वे ही वृद्धि का भी विरोध करती हैं। उद्दीपना का प्रभाव मैंने पहले ही एक अध्याय में समझाया था कि उद्दीपना पीनाधारी अंग की आशूनता को घटाती है और संकुचित करती है। बढ़ते हुए अवयव पर भी इसका प्रभाव ऐसा ही होता है। मैं यहाँ उद्दीपना की बढ़ती हुई उग्रता के अन्तर्गत वृद्धि का अभिलेख प्रस्तुत कर रहा हूँ। 05 यूनिट की वैद्युत उद्दीपना द्वारा वक्र में थोड़ा नीचे की ओर आनमन होता है। यह वृद्धि में थोड़े व्याघात का संकेत करती है। एक यूनिट की उद्दीपना द्वारा यह विलम्बन अधिक हो गया और जब तीन यूनिट की उद्दीपना दी गयी तब वास्तविक चित्र ४६-वृद्धि-दीर्धीकरण पर '5, 1 और 3 यूनिट संकुचन ही हो जाता है जैसा कि की वृद्धिशील तीव्रता की उद्दीपना का प्रभाव। मोड़ के विपर्यय द्वारा स्पष्ट होता अन्तिम अभिलेख, उद्दीपना द्वारा बढ़ते हुए अंग है (चित्र 46) / यहाँ यह विदित की वास्तविक लघुता का प्रदर्शन करता है। होगा कि उद्दीपना द्वारा जो प्रति
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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