________________ वनस्पति विज्ञान (6) गण्डमाल के लिए-सहदेई की जड़ पुष्य नक्षत्र में लाकर बाँधना चाहिए। (7) ज्वर में सहदेई की जड़ शिखा में बाँधना और उसका रस पीना चाहिए। (8) कुष्ठ रोग में-सहदेई का रस लेप करना चाहिए / (8) निद्रा के लिए-सहदेई की जड़ पीसकर लेप करना चाहिए। (10) सर्वज्वर-सहदेई और काली मिर्च पीसकर पीने से नष्ट होते हैं। ____ (11) बहुमूत्र में सहदेई और मिश्री समभाग दूध के साथ . सेवन करना चाहिए। सतावर सं० शतावरी, हि० सतावर, ब० शतमूली, म० शतमूली, गु० शतावरी, क० किरिप आसुडी, तै० चल्लगुडुलु, अ० शकाकुल मिश्री, फा० गुर्जदस्ति, अँ० एसपेरेगस रेसिमोसस-Asparagus Racemosus, और लै० ए. सतवर A. Satavar. विशेष विवरण-सतावर का वृक्ष दो-तीन फिट ऊँचा होता है, और यह भारतवर्ष के प्रत्येक स्थान में प्राप्त होती है / इसका उपयोग प्रायः शक्तिवर्द्धक औषधों के लिए होता है। इसका पत्ता