SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अडूसा (2) नल फूलने पर-सफेद पान और सहिजन का रस पीना चाहिए। (3) कुचला का विष-काले पान के डण्ठल का रस एक पाव तक पीने से नष्ट होता है। (4) पारा का विष-पान की लता, भौगरा और तुलसी का रस बकरी के दूध में मिलाकर तीन दिनों तक सुबह से दोपहर तक शरीर में लेप करना चाहिए। दोपहर के बाद ठंढे जल से स्नान करना चाहिए। (5) सरदी की खाँसी, पर-नागर वेल की फली का चूर्ण शहद के साथ सेवन करना चाहिए / (6) सियार का विष-नागर वेल की जड़ पानी में पीसकर पीना चाहिए / इससे वमन होकर विष नष्ट हो जाता है / अडूसा ___ सं० वासक, हि० अडूसा, ब० वाकस, म० अडुलसा, गु० अरडुशो, क० आडसोगे, तै० अडासारं, ता० अधडोडे,अ० मोभर नट-Mobhar Nat, और लै० अधाटोडा वासिकाAdhatoda Vasika. * विशेष विवरण-अडूसा का पेड़ सर्वत्र होता है / प्राचीन समय से इसका उपयोग हमारे यहाँ होता आया है, किन्तु अब
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy