________________ वनस्पति-विज्ञान 56 तो इसका उपयोग एलोपैथी में भी होने लगा है। इसका वृक्ष आदमी की ऊँचाई का होता है / उसके तने के पास से ही छोटीछोटी टहनियाँ निकलती हैं / इसके फल तीन-चार इंच लम्बे और डेढ़-दो इंच चौड़े चिपटे-से होते हैं। यह फल कच्चा हरा और पक्का पीला होता है / इसका फूल सफेद; किन्तु घोड़े के दाँत-जैसा होता है / फूलों का गुच्छा तुलसी की मंजरी की भाँति होता है / औषध में विशेषकर इसका पत्ता काम में आता है। यह सफेद और काला दो प्रकार का होता है / सफेंद अडूसे में कुछ सफेदी और काले में कालिमा होती है / काले अडूसा का पेड़ मुलायम होता है और उसमें गाँठ होती है। यह सफेद अडूसा से उष्ण और कफ-नाशक होता है / सफेद अडूसा की लकड़ी हल्की तथा कोमल होती है। इसका कोयला मदिरा में छोड़ने के काम आता है। एक प्रकार का अडूसा और होता है, जिसमें लाल रंग के फूल लगते हैं / चैत्र मास में इसमें फूल लगता है / गुण-वासा तिक्ता कटुः शीता कासनी रक्तपित्तजित् / कामलाकफ वै क्लव्यज्वरश्वासक्षयापहा ॥-रा० नि० अडूसा-तिक्त, कटु, शीतल, कासनाशक, रक्त-पित्तनाशक एवं कामला, कफ, विकलता, ज्वर, श्वास और क्षय नाशक है / विशेष उपयोग (1) सुख से प्रसव होने के लिएअडूसा के जड़ की छाल पकाकर नाभि और गुप्त स्थान में लगानी चाहिए।