________________ रसायन 47 है / जो शारीरिक और मानसिक दोषों से रहित हैं; जिनका शरीर और मन सर्वथा शुद्ध है और जो जितेन्द्रिय हैं; वे ही मनुष्य इन आयुवर्द्धक और जरा-व्याधि-नाशक रसायन के फल को प्राप्त कर सकते हैं / रसायन से उत्तम फल प्राप्त करने के लिए अनेक उत्तम गुणों की आवश्यकता है। रसायन औषधियाँ युवावस्था अथवा प्रौढ़ावस्था में ही सेवन करनी चाहिएँ। जो अधार्मिक, कृतघ्न और औषधद्वेषी मनुष्य हैं, उनको रसायन औषधियाँ कभी नहीं सेवन करनी चाहिएँ / दिव्यौषधियों का प्रभाव सुकृतात्मा मनुष्य ही सहन कर सकते हैं / किन्तु अकृतात्मा तो कदापि सहन नहीं कर सकते। ___ भारत में लता-वृक्षादि महोपकारी वनस्पतियाँ अधिकता से पाई जाती हैं। वे बड़ी गुणकारी देखी जाती हैं। एलोपैथिक औषधियों से कभी-कभी हानि भी हो जाती है / किन्तु आयुवैर्दिक औषधियों से किसी प्रकार की हानि की सम्भावना नहीं रहती। खासकर वनस्पतियों से तो किसी प्रकार की हानि हो ही नहीं सकती / जिस प्रकार भारत में होने वाले पदार्थ तीक्ष्ण नहीं हैं, उसी प्रकार भारतभूमि में उत्पन्न होनेवाली औषधियाँ भी तीक्ष्ण नहीं हैं। इसलिए वे भारतवासियों के स्वभाव के अनुकून पड़ती हैं। ये सब औषधियाँ बहुत थोड़े मूल्य में सर्वत्र मिल जाती हैं। और कितनी ही औषधियाँ तो इस देश में इतनी अधिकता से उत्पन्न होती हैं कि केवल उनके संग्रह कराने मात्र का व्यय