________________ वनस्पति-विज्ञान यज्जराव्याधि विध्वंसी भेषजं तद्धि रसायनम् / जो औषधि वृद्धता और व्याधि को अथवा जरारूपी व्याधि को नष्ट करने की शक्ति रखती है, उसे रसायन कहते हैं / यद्यपि प्रस्तुत समय में रसायन वृद्धता को सर्वथा नहीं रोक सकता, तथापि रसायन का यथाविधि दीर्घकाल तक सेवन करने से वृद्धता से रक्षाकर वह आरोग्य रख सकता है। उसके बाद स्वास्थ्यरक्षा के नियमों का पालन करके मनुष्य उसके बाद बहुत दिनों तक वृद्धता के पुनराक्रमण से अपनी रक्षा कर सकता है / रसायन सेवन का फल महर्षियों ने कहा हैं दीर्घमायुस्मृतिः मेधामारोग्यं तरुणं वयः / प्रभावर्णसुरौदायं देहि इन्द्रियबलं परम् // वाक्सिद्धिं प्रणितिं कान्ति लभते ना रसायनात् / लाभोपायोहि शस्तानां रसादीनां रसायनम् // रसायन के सेवन से मनुष्य की दीर्घायु, स्मरणशक्ति, मेधाशक्ति, नीरोगता, तरुणता; तथा कान्ति, वर्ण और स्वर की मधुरता बढ़ती है। यह देह और इन्द्रिय को अत्यन्त बल प्रदान करता है। वाक्सिद्धि, नम्रता एवं शारीरिक कान्ति बढ़ती है / यह उत्कृष्ट रसादि धातुओं के प्राप्ति के उपाय-स्वरूप होने के कारण इसे रसायन कहते हैं / रसायन का विधि पूर्वक अधिक समय तक सेवन करने से प्रचुर लाभ होता है। किन्तु सेवन करते समय शरीर-रक्षा तथा पथ्य के नियमों पर भी विशेष रूप से ध्यान रखना अत्यावश्यक