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________________ 30 वनस्पति-विज्ञान अपनी बुद्धि के अनुसार संगठित जोवन को ही वास्तविक जोवन बना रखा है। फलतः इस विषय में जहाँ तक उसकी शक्ति थी, वहाँ तक उसने प्रकृति पर शासन किया / परन्तु जहाँ मनुष्य की शक्ति विवश हो जाती है, वहाँ पर प्रकृति ही उस अत्याचारी पर शासन कर समाज को आक्रान्त कर देती है / यही मनुष्य की मृत्यु का प्रमुख कारण है / प्राचीन काल में मनुष्य किसी अज्ञात शक्ति की प्रेरणा से अपने स्वभाव के अनुसार जीवन व्यतीत करता था। किन्तु जब उसने अपनी बुद्धि के बल से जीवन-पद्धति को और भी सुगम एवं सरस बनाने की कल्पना की तब उसने नवीन सभ्यता की सृष्टि की / उस समय उसे अपने शारीरिक तत्व, उसके रसायन योग तथा चेतना शक्ति को चिरस्थायी रखने की विद्या का ज्ञान न था। ___ बाद में मनुष्य ने तरह-तरह की खोज और गवेषणाएँ करके अपने शारीरिक तत्त्वों का अमूल्य परिज्ञान प्राप्त किया। अनेक असफलताओं के बाद इन तत्त्वों के प्रत्यक्ष रासायनिक संयोग करके उन लोगों ने देखा। जब उन्हें रासायनिक तत्वों का परिज्ञान भली-भाँति हो गया तब उन्हीं तत्त्वों के विविध रस तैयार किए गए; और उनका भी प्रत्यक्ष प्रयोग करके देखा गया। परिणाम यह हुआ कि वे पहले से अधिक काल तक जीवित रहने लगे। इस अकल्पित लाभ को प्राप्त कर उन्हें बड़ा उत्साह मिला; और इस अनुसन्धान को चिरस्थायी बनाने के लिए भाषा और लिपि-द्वारा
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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