________________ ___ वनस्पति-विज्ञान : 24 आयुर्वेद के वात, पित्त, कफ को न मानकर डाक्टर लोग अनेक प्रकार की कल्पनाएँ करते हैं; किन्तु हमारे आयुर्वेद में परमाणुओं से स्थूल पंच महाभूतों का बनना सिद्ध होता है। यह विविध प्रकार की जो सृष्टि देखने में आती है, उसके अत्यन्त छोटे भाग का नाम परमाणु है / कहा है जालान्तरगते भानौ यत्सूक्ष्मं दृश्यते रजः / तस्य त्रिंशत्तमो भागः परमाणुः स कथ्यते। किसी सन्धि से जो सूर्य की किरणें प्रवेश करती हैं उनकी छाया में देखने से जो छोटे-छोटे कण उड़ा करते हैं; उसका जो तीसवाँ हिस्सा है, उसे परमाणु कहते हैं / इतनी सूक्ष्म माप श्राज कल के वैज्ञानिक तो नहीं कर सकते, जो अपने को इस समय संसार का बड़ा भारी आविष्कारक मानते हैं / संसार के प्रत्येक पदार्थ में विकास-शक्ति रखनेवाला गुणसत्वगुण; क्रिया-शक्ति रखनेवाला रजोगुण और संकोच-शक्ति रखनेवाला तमोगुण पाया जाता है / सत्त्र और तमोगुण में रजोगुण के मिलने ही से विकास और संकोच-क्रिया उत्पन्न होती है। अधिक सत्वगुण वाले परमाणु से शरीर की उत्पत्ति होती है; और अधिक तमोगुण वाले परमाणुओं से पत्थर आदि जड़ पदार्थों की उत्पत्ति होती है। पृथ्वी, जल, तेज और वायु-इन चारों पदार्थों से शरीर बनता है। आकाश तो केवल आधार मात्र है / इससे शरीर नहीं बनता / ये चार तत्त्व हमारे शरीर में माता के