________________ 21 रस चिकित्सा का विकास विदेश से सम्बन्धित मानते हैं। परन्तु इस चिकित्सा में जो विकास हुआ है, वह विदेशी नहीं, बल्कि एतद्देशीय ही है / इसलिए हम इसे अपने देश में आविष्कृत अपनी ही चिकित्सा-पद्धति मानते हैं। इसका और विदेश का सम्बन्ध केवल रसायनवाद तक ही रहा है, जिसके अनेक प्रमाण मिलते हैं। ___नागार्जुन नामक बौद्ध भिक्षु का विदेश में जाकर रसायन विद्या को सीख कर लौट कर आने के अनेक प्रमाण बौद्ध-धर्म के ग्रन्थों में मिलते हैं। साथ ही अनेक ऐतिहासिक प्रमाण भी प्रस्तुत हैं। आधुनिक रसायन शास्त्रियों ने यह स्पष्टतया सिद्ध कर दिया है कि 'पोरालसिट' आदि द्वारा ही आधुनिक रसायनवाद का जन्म हुआ है। आज से दो हजार वर्ष पूर्व भी हमारा प्राचीन रसायनवाद केवल भारत में ही नहीं; वरन् मिश्र, ईरान, एशिया, रोम आदि समस्त देशों में एक रूप से व्यापक था; और इसकी पुस्तकें भी हर एक देशों में मिलती हैं। इन प्रत्यक्ष प्रमाणों से सिद्ध होता है कि हमारी प्राचीन रसायन-विद्या का सम्बन्ध विदेश की रसायन-विद्या से था। यही नहीं, आज भी रसायनोपयोगी द्रव्यों की विदेशों में ही उपलब्धि होना भी इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। वैद्यक-शास्त्र-शरीर-विज्ञान और चिकित्सा-विज्ञान भेद से दो भागों में विभक्त है। इनमें शारीरिक को ही प्रधानता दी गई है। चरक का कथन है