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________________ पंचतत्व ____ हमें अपने शारीरिक तथा चेतना शक्ति पर अवश्य विचार करना पड़ेगा। वास्तव में विचार करने पर जो परमाणु पदार्थ और शक्ति इस सृष्टि-रचना में दृष्टि-गोचर होती है, उसी परमाणु पदार्थ और शक्ति से हमारा शरीर बना हुआ है। इसलिए हमें सृष्टि-सम्बन्धी कुछ आवश्यक बातों का ज्ञान होना अनिवार्य है। क्योंकि उस ज्ञान के बिना हम अपनी संसार-यात्रा को कदापि सफल नहीं बना सकते। किसी भी पदार्थ की उत्पत्ति में कार्य और कारण का सम्बन्ध अवश्य रहता है। उसी प्रकार सृष्टि-रचना को देखने से भी कार्य और कारण का विकास प्रतीत होता है। संसार में हम प्रत्यक्षरूप से तीन प्रकार के पदार्थ देखते हैं / १-खनिज, २-उद्भिज (वनस्पति ) और ३-प्राणी / इन तीनों में अन्तिम दो में तो हम चेतना शक्ति पाते हैं। किन्तु प्रथम खनिज में भी अप्रत्यक्षरूप से चेतना-शक्ति का वास है। वह इस प्रकार कि प्राणी-वर्ग वनस्पति खाकर जीवन रक्षा करते हैं और वनस्पति की उत्पत्ति खनिज पदार्थ से है; क्योंकि वनस्पतियाँ अपनी जड़-द्वारा खनिज पदार्थों का तत्त्व ग्रहण कर उत्पत्ति और विकास को प्राप्त होती हैं / अर्थात् खनिज पदार्थ ही वनस्पति के जीवन हैं, और वनस्पतियाँ ही हमारे जीवन की सर्वस्व हैं / इस प्रकार निर्जीव पदार्थ भी सजीव बन जाते हैं और वही निर्जीव पदार्थ सजीव पदार्थों की भाँति उत्पत्ति और विकास को प्राप्त होते हैं।
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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