________________ वनस्पति-विज्ञान अन्वेषक और सूक्ष्म बुद्धि विशारद आर्य महर्षियों ने जिन ज्ञातव्य बातों का ज्ञान हमें सुलभ कर दिया है, उसकी सहायता से हम अपने शरीर की रचना करने वाली प्रकृति नटी की अपार शक्ति का कुछ-कुछ अनुमान कर सकते हैं / - आयुर्वेद-शास्त्र-निर्माता महर्षियों ने शरीर-शास्त्र के विषय में अनुसन्धान करके, जो कुछ प्रकाश डाला है; उसी के साहाय्य से आज विश्व के रासायनिक और वैज्ञानिक अपने नूतन आविष्कार का विजय डंका बजा रहे हैं। , __immmmmmm पंचतत्त्व हम कौन हैं, हमारा शरीर क्या है और इसका धर्म क्या हैं ? आदि प्रश्न प्रत्येक मनुष्य के हृदय में उठते और विलीन होते रहते हैं , विचारवान और विवेकशील व्यक्ति इन प्रश्नों का उत्तर पा सकते हैं। और उस उत्तर के सहारे अपने जीवन को भी सफल बना सकते हैं / सृष्टि के अन्य जीवधारी इन गूढ़ प्रश्नों पर न तो विचार ही कर सकते हैं, और न उत्तर ही पा सकते हैं / परन्तु मनुष्य को इस शरीर-रचना पर अवश्य विचार करना चाहिए, क्योंकि मनुष्य अन्य जीवों की अपेक्षा अधिक तर्कशील तवा ज्ञानवान है / प्रकृति ने अन्य प्राणियों की अपेक्षा मनुष्य में यह तर्क और विवेचन शक्ति अधिक मात्रा में सन्निहित की है।