________________ विषय-प्रवेश www अपने आस-पास की वस्तुओं को देखकर हमारे हृदय में यह धारणा स्वाभाविक उत्पन्न हो जाती है कि ये पदार्थ कौन हैं, इनसे हमारा क्या सम्बन्ध है तथा हमारे शरीर से इनका क्या सम्बन्ध है एवं हमारा शरीर किस प्रकार बना हुआ है और इन पदार्थों में तथा हममें कौन-सी शक्ति संचरण करती है। यदि हम अपने शरीर और अपने पासवर्ती पदार्थों की रचना के कार्य-कारण को भली-भाँति न जानें, तो यह हमारे लिए परम लज्जास्पद विषय है / संसार में अपने शरीर की अनभिज्ञता महान दुःख की जननी है। अन्य सब विषयों के अज्ञानता की अपेक्षा अपने शरीर-रचना की अनभिज्ञता तो महान क्लेशदायक ही है / सूक्ष्म दृष्टि से अवलोकन करने पर शरीर के बाहर की अन्य वस्तुओं में भी एक अलौकिक; किन्तु सूक्ष्म शक्ति संचरण करती हुई दीख पड़ती है। यदि हम अपने शरीर-रचना का पूर्ण-ज्ञान उपलब्ध कर लें, तो संसार के अन्य पदार्थों की सम्पूर्ण ज्ञातव्य बातें सरलतापूर्वक हमारी समझ में आ सकती हैं। मानव शरीर-रचना प्रकृति की एक अद्भुत और अलौकिक कृति है / इस कृति का सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में अभी मानव जाति सफल नहीं हो सकी है / क्यापि