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________________ 251 अमिलतास (8) बालकों की खाँसी में-पलाश की गोंद दो रत्ती, दूध के साथ देनी चाहिए / अमिलतास सं० पारग्वध, हि० अमिलतास, ब० सोनालु, म० बाहवा, गु० गरमालो, क० हेगाके, तै० रेल्लकाया, अ० ख्यारेशम्वर, अँ० पुडिंग पाइपटी-Pudding Pipetree, और लै० केश्याफिसचुला-Cassiafistula. विशेष विवरण-अमिलतास का पेड़ बड़ा होता है। इसके पत्ते लालचन्दन-जैसे छोटे होते हैं। इसका फूल खेखसा की तरह पीले रंग का होता है / इसमें हाथ-डेढ़-हाथ लम्बा फल लगता है। इसके भीतर चिकना गूदा निकलता है। यही औषध के काम आता है। इसके भीतर जोगियारंग का चिपटा ; किन्तु जरा लम्बा बीज निकलता है। इसे आग पर सेंक देने से गूदा जल्द निकलता है। यह छोटा और बड़ा दो जाति का होता है। इसके फूल में पाँचपाँच पंखुड़ियाँ हल्दी के रंग की होती हैं। एक प्रसिद्ध यूनानी हकीम का कथन है कि उत्तम विरेचन के लिए अमिलतास की गुद्दी और बादाम का तेल खिलाना चाहिए / इससे छाती का दर्द नष्ट हो जाता है। यह बालक और सगर्भा को भी दिया जा सकता है। गुण-आरग्वधो गुरुः स्वादुः शीतलो मृदुरेचनः / ___ ज्वरहृद्रोगपित्तास्रवातोदावर्तशूलनुत् //
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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