________________ बनस्पति-विज्ञान 250 स्वादिष्ट; पाक में कड़वा ; तीता, कषैला, वातल तथा कफ, पित्त, रक्तविकार और मूत्रकृच्छनाशक एवं ग्राही और शीतल तथा तृषा, दाह, वातरक्त और कुष्ठनाशक है / पलाश का फल-हलका, गरम ; पाक में कड़वा; रूखा और मेह, अर्श, कृमि, वात, कफ, कुष्ठ, गुल्म और उदररोगनाशक है। गुण-पलाशभवनिर्यासो ग्राही च क्षपयेद्धृवम् / ग्रहणी मुखजान्कासाञ्जयेत्स्वेदातिनिर्गमम् ॥-पा० स० पलाश का गोंद-ग्राही तथा संग्रहणी, मुखरोग, खाँसी और अधिक पसीने का आना रोकता है। विशेष उपयोग (1) दाह पर-पलाश का पत्ता उस स्थान पर रखना चाहिए। (2) रतौंधी पर---पलाश के रस का अंजन करना चाहिए। (3) फूली पर-पलाश के रस में कपूर घिसकर लगाना चाहिए। (4) कृमिरोग में-पलाश के बीज का चूर्ण गरम जल के साथ सेवन करना चाहिए। (5) खुजली पर--पलाश के बीज का उबटन करें। (6) अतीसार में--पलाश के रस में शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए। (7) आमवात पर--पलाश के बीज का चूर्ण खाएँ / (8) मुँह के छालों पर-पलाश की गोंद चूसें।