________________ वनस्पति-विज्ञान ____ 252 तत्फलं ख्रसनं रुयं कुष्ठपित्तकफापहम् / ज्वरे तत्सततं पथ्यं कोष्ठशुद्धिकरं परम् ॥-भा०प्र० अमिलतास-भारी, स्वादिष्ट, शीतल, मृदुरोचक तथा ज्वर, हृद्रोग, रक्तपित्त, उदावर्च और शूलनाशक है। अमिलतास का फल-संसन, रुच्य तथा कुष्ठ, पित्त और कफनाशक एवं ज्वर में निरन्तर पथ्य तथा परम कोष्ठशोधक है। गुण-पत्रमारग्वधस्यापि कफमेदोविशोषणम् / ज्वरे च सततं पथ्यं मलदोषसमन्विते // पुष्पाणि स्वादु शोतानि तिक्तानि ग्राहकाणि च / तुवराणि वातलानि कफपित्तहराणि च // मजा तु मधुरा पाके स्निग्धा चामिविवर्द्धिनी / रेचिका पित्तवातनां नाशिका समुदाहृता ॥-नि० र० अमिलतास का पत्ता-कफ और मेद विशोषक, ज्वर में निरन्तर पथ्य और मल को ढीला करनेवाला है / अमिलतास का फूल-स्वादिष्ट, शीतल, तीता, माही, कषैला, वातल तथा कफ-पित्तनाशक है। अमिलतास की गुद्दी-पाक में मधुर; चिकनी, अग्निवर्द्धक, रेचक तथा पित्त-वातनाशक है। विशेष उपयोग (1) दाह, कुष्ठ और खुजली परअमिलतास का पत्ता, कॉजी के साथ पीसकर लेप करना चाहिए। अथवा इसके फल या अंकुर का रस लगाना चाहिए / (2) चकत्तों पर-अमिलतास का पत्ता पीसकर लगाएँ।