________________ बनस्पति-विज्ञान 246 (5) धातुपुष्टि के लिए--सेमल का चूर्ण छः माशे, मिश्री चार तोले ; एक पाव दूध के साथ सेवन करना चाहिए / अथवा सेमल की चार तोला जड़, एक पाव दूध के साथ रात के समय मिगो दी जाय, सुबह छानकर और एक तोला मिश्री मिलाकर सात दिनों तक पीना चाहिए। (6) बलवृद्धि के लिए सेमल के जड़ की छाल का चूर्ण, शहद और मिश्री के साथ सेवन करना चाहिए। (7) आग से जलजाने पर--सेमल की रुई पीसकर लगानी चाहिए। (8) स्तम्भन के लिए-सफेद सेमल के कंद का चूर्ण मिश्री मिलाकर खाना चाहिए। (8) फोड़े पर--मुलायम सेमल के कंद के गूदे का रस लगाना चाहिए। (10) दाह पर-सेमल का रस लगाना चाहिए / (11) सुरामेह पर--सेमल की छाल का काढा पीएँ / (12) अजीर्णातिसार में सेमल का चूर्ण तीन माशे मिश्री मिलाकर खाना चाहिए। (13) अतीसार में-सेमल की छाल अथवा जड़ पीस कर पीनी चाहिए। (14) धातुस्राव में सफेद सेमल की छाल, दूध में पीसकर जीरा और चीनी मिलाकर चौदह दिनों तक पीएँ।